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3000 वेश्‍याएं आज भी जी रही है वाराणसी में नारकीय जिन्दगी

3000 वेश्‍याएं आज भी जी रही है वाराणसी में नारकीय जिन्दगी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शिनवार क अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दो दिन के दौरे से वापस दिल्ली लौट आए हैं। यहां पीएम मोदी ने 18 बड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण और दस बड़ी परियोजनाओं का शिलान्‍यास किया।

विकास की इतनी झड़ियां लगाने के बाद भी वाराणसी में एक इलाका ऐसा भी है जहां 'सबका साथ-सबका विकास' का नारा तो दिया गया था लेकिन मूलभूत सुविधाओं तक के लिए लोग दर दर भटक रहे हैं।
वाराणसी में शिवदासपुर एक रेडलाइट एरिया है और यहां 3000 से ज्यादा वेश्‍याएं रहती हैं। यहां रहने वाली वेश्‍याओं की बर्बर जिंदगी को जानने के लिए किसी सर्वे की जरूरत नहीं है।
क्योंकि इस रेडलाइट इलाके में कदम रखते ही यहां की विभिषका का अनुभव स्वयं हो जाता है। यहां गंदगी का ऐसा अम्बार लगा हुआ है कि बिना मुंह पर कपड़ा ढके कोई भी पांच मिनिट से ज्यादा यहां ठहर नहीं सकता।
इन सबके बीच रेडलाइट एरिया की गलियों में घुसते ही किसी को भी इन वेश्‍याओं की देशव्‍यापी दुर्दशा को आराम से समझ सकता है। 10X12 के मकान में जिंदगी बसर करने वाली इन वेश्‍याओं को पीने तक के पानी के लिए ग्राहकों का इंतजार करना होता है।
फर्स्टपोस्ट की खबर के मुताबिक, मशहूर कथाकार काशीनाथ सिंह ने अपने व्‍यंग्‍य में कहा है कि 'वेश्या' शब्द भले ही रात में प्यारा लगता हो, लेकिन दिन के उजाले में ये अपशब्द बन जाता है।
इस इलाके की हवा में ही शोषण, भूखमरी, प्रताड़ना और मूलभूत सुविधाओं की लूट साफ दिखती है। पीएम के बड़े बड़े वादों के बाद भी शिवदासपुर की ना दशा सुधरी और ना ही यहां की वेश्‍याओं के पुर्नवास को लेकर कोई काम हुआ।
इन सबके बावजूद कुछ समाजसेवी संस्‍थाएं सुधार और पुनर्वास को लेकर आगे तो आईं, लेकिन कोई वास्‍तविक समाधान की बजाए वेश्‍याओं की आजीविका तक छिनी गई है।
शिव कुमार मिश्र

शिव कुमार मिश्र

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