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पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दम तोड़ रही देव भाषा संस्कृत।ये मजाक नही हकीकत है।
आशुतोष त्रिपाठी
वाराणसी। पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दम तोड़ रही देव भाषा संस्कृत।ये मजाक नही हकीकत है। जर्जर भवन, पठन-पाठन सामग्री अन्य सरकारी सुविधा के अभाव के बीच यहां संस्कृत की पढ़ाई चल रही है। ऐसे में धीरे-धीरे जिले से संस्कृत की पढ़ाई समाप्त होती चली जा रही है।
संस्कृत विद्यालयों की उपेक्षा से संस्कृत पढ़ने वाले विद्यार्थी लगातार कम होते जा रहे है। हाल यह है कि इन विद्यालयों में न तो पर्याप्त शिक्षक बचे हैं और न पढ़ने वाले विद्यार्थी ही रह गए हैं। इससे इन विद्यालयों को अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है।
प्रशासनिक स्तर पर भी इनकी ओर कोई विशेष ध्यान नही दिया जा रहा है।अधिकांश विद्यालय और महाविद्यालय जर्जर स्थिति में है। छात्रों के लिए न तो पठन-पाठन की समुचित व्यवस्था है और न ही अन्य कोई सुविधायें मुहैया हो रही है।
शिक्षकों की भारी कमी है.....
यहां गरीब परिवार के बच्चे ही शिक्षा ग्रहण करने आते हैं लेकिन ऐसे में अब वह भी यहां प्रवेश लेने से कतरा रहे हैं। रही-सही कसर शिक्षकों की कमी पूरा कर देती है। स्थिति यह है कि प्रथमा से लेकर महाविद्यालय तक में शिक्षकों की भारी कमी है। इसके चलते कई विद्यालय बंद हो चुके हैं। संस्कृत विद्यालयों की दुर्दशा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोग बताते हैं कि संस्कृत की दुर्दशा के लिए सरकार जिम्मेदार है। संस्कृत विद्यालयों की दुर्दशा खत्म करने की मांग समय समय पर सरकारों से करते रहते है, परंतु आश्वासन के सिवा कुछ नही मिलता।
फिलहाल अगर सरकार ने कोई ठोस पहल नहीं की तो वह दिन दूर नहीं जब संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालयों में ताले लटक जाएंगे और दम तोड़ देगी देव भाषा संस्कृत।
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