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जानिए विदेशियों ने क्यों कहा थैंक यू BHU...

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BHUकी लकवा जनजागरण फिल्म पहुँची, नोबेल संग्रहालय
आशुतोष त्रिपाठी
वाराणसी। विश्व के ख्यात केमिस्ट, इंजीनियर और डायनामाइट आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल के स्वीडन के स्टॉकहोम में बने संग्रहालय तक भी 'फिर वही दिन' फिल्म पहुंचाई गई। यहाँ पहुंचाने का खास मकसद था कि दुनिया लकवा बीमारी को लेकर जागरुक हो, फिल्म का संदेश पूरे विश्व में जाए।
संग्रहालय तक जैसे ही यह पिक्चर पहुंची लोग अवाक रह गए, लोगों के अंदर जानने की ललक थी कि आखिर इस फिल्म को किसने बनाया? जब फिल्म के कल्पनाकार आईएमएस न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने बताया कि किसी फिल्मी इंडस्ट्रीज से नहीं बल्कि एशिया के मशहूर विश्वविद्यालय बीएचयू के सरसुन्दरलाल अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा बनाई गई है।
नोबेल संग्रहालय के सदस्यों ने पहले लकवा बीमारी को लेकर प्रो. विजयनाथ मिश्र से जाना और उससे बचाव को जाना। फिल्म के संदेशों पर प्रकाश डालते हुए प्रो. मिश्र ने कहा कि यह फिल्म गरीब इलाकों में फिल्माया गया है जो इलाज से बंचित रह जाते है। जिसके बाद संग्रहालय के लोगों ने जमकर सराहना की।
प्रो. मिश्र ने संग्रहालय के फिल्म थियेटर में दिखाने का आग्रह किया। फिल्म की डीवीडी और फोल्डर को प्रो. मिश्र ने संग्रहालय के चीफ ड्यूटी ऑफिसर श्री हालमैन को भेंट किया।
जब प्रो. मिश्र ने बीएचयू अस्पताल द्वारा जनता को मिलने चिकित्सकीय सुविधाओं और विश्वविद्यालय की फैकल्टीज के बारे में बताया तो संग्रहालय के लोगों ने बीएचयू को कहा 'थैंक यू बीएचयू'। बताते चले कि 63 वर्ष की उम्र में इस ख्यात वैज्ञानिक की मौत लकवे के कारण हुई थी। इसी वैज्ञानिक के नाम पर पूरे विश्व में नोबेल पुरस्कार दिया जाता है।
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