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आखिर क्यों टूट रहा सचिन तेंदुलकर का ये पसंदीदा बंगला, जानें पूरा मामला
मसूरी : क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के पसंदीदा बंगला को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तोड़ने की कार्रवाई जारी है। बताया जा रहा है इसे तोड़ने में 15 दिन से ज्यादा का समय लग सकता है।
दरअशल सचिन तेंदुलकर के दोस्त संजय नारंग का ये आशियाना डहेलिया बैंक को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार सुबह दस बजे से जेसीबी द्वारा आशियाना तोड़ने की कार्रवाई जारी है। ध्वस्तीकरण को शांतिपूर्वक निपटाने के लिए पुलिस ने सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं। इस पूरे क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
मंगलवार सुबह कैंट बोर्ड, पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचें थे। और उन्होंने सबसे पहले पुरे बिल्डिंग को खाली कराया गया। फिर करीब पचास मजदूरों के साथ जेसीबी मशीन से इसे तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई। इस दौरान एंबुलेस, फायर ब्रिगेड के साथ पुलिस के लगभग 100 जवान तैनात थे। यही नहीं सेना के जवानों ने भी यहां मोर्चा संभाला हुआ था।
मसूरी स्थित सचिन तेंडुलकर का ये बंगला अब वैसा नहीं रह जाएगा जैसा मास्टर ब्लास्टर इसे पसंद करते थे। बताया जा रहा है सचिन तेंडुलकर जब भी छुट्टी मनाने मसूरी आते थे तो संजय नारंग के बंगले ढहलिया बैंक हाउस में ही ठहरते थे। इस बंगले की मरम्मत के नाम पर संजय नारंग ने इसमें बहुत सारे बदलाव किए थे।
दरअशल 28 हजार वर्गमीटर क्षेत्र में फैले डहेलिया बैंक में संजय नारंग के अवैध निर्माण को तोड़ने का आदेश नैनीताल हाईकोर्ट ने कैंट बोर्ड को दिया था। इस आदेश के बाद संजय नारंग ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष सुनवाई याचिका को चुनौती दी थी, जिसके बाद कैंट बोर्ड ने केविएट दाखिलकर अपना पक्ष सुनने की अपील की थी।
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने संजय नारंग की याचिका को खारिज करते हुए 18 सितंबर को डहेलिया बैंक में कराए गए अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए संजय नारंग को 12 दिन का समय दिया था। दरअशल यह रक्षा मंत्रालय के विभाग आईटीएम के नजदीक 50 मीटर की परिधि में आता है जो विभागीय मानकों के अनुसार नहीं है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2016 में सचिन तेंदुलकर ने तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर परिकर से इस बंगले के बारे में बात की थी, जिसके बाद उनका भी नाम इस बंगले से जोड़ा गया। लेकिन बाद में सचिन ने इन आरोपों का खंडन किया। बताया जा रहा है कि संजय नारंग ने इस बंगले के पुननिर्माण के लिए कैंट के अधिकारियों से परमिशन नहीं ली थी, जिसके बाद कोर्ट ने निर्माण को अवैध बताते हुए तोड़ने का आदेश दिया था।