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सीएम ममता बनर्जी ने मोदी सरकार की इस योजना को लागू करने से किया मना

Arun Mishra
14 Feb 2018 6:58 AM GMT
सीएम ममता बनर्जी ने मोदी सरकार की इस योजना को लागू करने से किया मना
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ममता ने नैशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम 'मोदीकेयर' को नकारा
नई दिल्ली : केंद्रीय बजट में पेश की गई नैशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम को पश्चिम बंगाल में लागू किए जाने से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इनकार कर दिया है। ममता बनर्जी ने मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा, 'हम मेहनत से कमाए गए संसाधनों को इस योजना में अपनी हिस्सेदारी देने के लिए खराब नहीं करने वाले हैं।' केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना और विश्व की सबसे बड़ी कही जाने वाली हेल्थकेयर प्रोग्राम से बंगाल किनारा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।

कृष्णानगर में आयोजित एक पब्लिक मीटिंग में ममता बनर्जी ने कहा, 'केंद्र सरकार एक स्वास्थ्य योजना ला रही है, जिसमें 40 फीसदी फंडिंग राज्यों द्वारा की जानी है। राज्यों में पहले से ही ऐसी योजनाएं चल रही हैं तो हम अपने संसाधनों और पैसे को एक और योजना पर क्यों खराब करें? अगर हमारे पास संसाधन हैं तो हमारी अपनी योजनाएं भी होंगी।

ममता बनर्जी ने कहा, 'हमने पश्चिम बंगाल में इलाज और स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त की हैं, जबकि हमें हर साल पिछली सीपीएम सरकार के लोन के लिए 48,000 करोड़ रुपये केंद्र को देने पड़ते हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के स्वास्थ्य साथी कार्यक्रम के तहत 50 लाख लोगों को जोड़ा जा चुका है।

ममता ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र ने 'बेटी बचाओ' योजना के तहत 100 करोड़ रुपये पूरे देश के लिए जारी किए हैं जबकि पश्चिम बंगाल सरकार ने 'कन्याश्री प्रॉजेक्ट' के लिए 5000 करोड़ रुपये दिए।'

क्या है नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करते हुए नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम की घोषणा की जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की हेल्थ स्कीम की तर्ज पर 'मोदी केयर' बताया जा रहा है।

सरकार ने घोषणा की थी कि इसके तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों के लिए हर साल 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा। सरकार ने इसे विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना बताई थी और इससे करीब 50 करोड़ लोगों को फायदा पहुंचाने का दावा किया गया था। सरकार ने इस योजना के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था जबकि अर्थशास्त्रियों के अनुसार इस पर 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसलिए केंद्र सरकार ने राज्यों को 40 फीसदी रकम खर्च करने को कहा था।
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