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बिहार की राजनीति में हुई असदुद्दीन ओवैसी की इंट्री, क्या उपचुनाव में NDA की हार का असर झारखंड विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा
बिहार की राजनीति में असदुद्दीन ओवैसी की इंट्री हो गई है. आजादी से अब तक कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले किशनगंज सीट पर AIMIM ने जबरदस्त सेंधमारी की है. AIMIM प्रत्याशी कमरुल हुदा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की स्वीटी सिंह को 10,000 से अधिक मतों से पराजित किया है.
कमरुल हुदा की जीत के बाद इलाके के लोगों में खुशी का माहौल है. AIMIM प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा कि जिस प्रकार जनता ने विश्वास कर उनके पार्टी को बहुमत दिया है, हमारी पूरी कोशिश होगी कि जनता के विश्वास पर खरा उतरें. वहीं चुनाव जीतने के बाद AIMIM प्रत्याशी ने बताया कि आजादी से अब तक कांग्रेस वोटरों को डरा-धमका कर वोट लेने का काम किया है. लेकिन अब इलाके का विकास जमीन पर उतरेगा.
बिहार की 5 विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के अधिकतर परिणाम आ चुके हैं. इससे एक बात तो साफ हो गयी है कि NDA का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. विधानसभा की बेलहर, सिमरी बख्तियारपुर, दरौंदा, नाथनगर और किशनगंज सीटों पर उपचुनाव हुए थे. इन जगहों पर विपक्ष के उम्मीदवार NDA पर भारी पड़े हैं. नाथनगर में भी कांटे की टक्कर है, अगर NDA वहां से जीतती भी है तो वोटों का फर्क काफी कम होगा. कवल समस्तीपुर लोकसभा सीट से लोजपा उम्मीदवार ने वोटों में बढ़त हासिल की है। अब सवाल यह उठता है कि लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीतने वाले NDA के उपचुनाव में खराब प्रदर्शन की वजह क्या है.
इधर झारखंड में भी इसी साल विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में बुधवार को विपक्ष के कई विधायकों और पूर्व आईएएस-आईपीएस ने भाजपा की सदस्यता ली. पार्टी की सदस्यता लेने वालों में जेएमएम विधायक कुणाल षाड़ंगी, कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत, मनोज कुमार यादव, भानु प्रताप शाही, पूर्व डीजीपी डीके पांडेय, पूर्व आईपीएस अरुण उरांव, पूर्व IAS सुचित्रा सिन्हा, जेएमएम से निलंबित विधायक जे पी भाई पटेल और कांग्रेस के सीनियर नेता बजरंगी प्रसाद यादव शामिल हैं. पार्टी में शामिल होने वाले सभी विधायकों की मानें तो वे सभी भाजपा सरकार के काम और उसको जनता से मिल रहे साथ की वजह से पार्टी में शामिल हुए हैं.
लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में NDA के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद सवाल यह उठता है कि क्या बिहार विधानसभा उपचुनाव में NDA के प्रदर्शन का असर झारखंड विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. और अगर असर पड़ता है तो क्या जिन उम्मीदों के साथ विपक्ष के नेताओं ने पार्टी की सदस्यता ली है, वह पूरा हो पाएगा. खैर, यह तो समय के साथ ही पता चलेगा, लेकिन बिहार में NDA के प्रदर्शन को देख विपक्षियों में उम्मीद की किरण जागी है। वे एक नई उम्मीद के साथ झारखंड साधने में जुट गए हैं.