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सीएम नीतीश ने भी माना बिहार के विकास में नही सहयोग कर रहा है बैंक,जमकर की आलोचना
पटना -(शिवा नंद गिरि)
उन्होंने राज्य सरकार की पीड़ा रखते कहा कि बैंक हमलोगों की बात काे सुनता ही नहीं है। इसके अलावा सीएम नीतीश ने अन्य गंभीर मुद्दों पर भी चर्चा की। साथ ही उन्होंने विशेष राज्य का दर्जा का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि बैंकिंग शिक्षा को बिहार के कोर्सों में शामिल किया जाएगा। वहीं, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि हर गांव में बैंक मित्र की बहाली होगी।
बैैंक का सिस्टम हमलोगों की बात पर ध्यान ही नहीं देता। विगत 12 वर्षों से वह लगातार बैैंकों से बिहार के लिए अनुरोध कर रहे। पिछले छह-सात साल से बैैंक की शाखा के लिए पंचायत सरकार भवन में जगह उपलब्ध कराने को आश्वस्त कर रहे। प्लीज सोचिए। उन्होंने कहा कि ऋण-जमा अनुपात 50 परसेंट भी नहीं है यहां मात्र 45 परसेंट है, जबकि राष्ट्रीय औैसत 75 परसेंट है। बिहार में माइक्रो, लघु व मध्यम आकार के उद्योगों में काफी संभावना है। औद्योगिक प्रोत्साहन नीति में राज्य सरकार ने इस श्रेणी के उद्योगों के लिए कई रियायतें भी दी हैैं। उक्त बातें पटना में आयोजित 69वीं राज्य स्तरीय बैैंकर्स कमेटी की बैठक में सीएम नीतीश कुमार ने कही। गुरुवार को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) की मीटिंग में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर की उपस्थिति में सीएम नीतीश कुमार ने बैंकों की प्रणाली की जमकर आलोचना करते हुए आगे कहा कि बिहार में जीविका समूह से करोड़ों महिलाएं जुड़ी हैैं। बैैंक ने नया सिस्टम यह कर दिया है कि समूह की महिलाओं के ऋण को व्यक्तिगत रूप से उनका सिबिल स्कोर आंका जा रहा है। यह नहीं होना चाहिए। ऋण तो जीविका समूह को मिल रहा। इसमें बैैंकों का सहयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि बैैंक यह नियम बना दे कि बैैंक से बड़ी राशि बगैर पुलिस को सूचना दिए बाहर नहीं निकले। बिना बताए निकाल लेतेे हैैं। पता नहीं क्या डील कर लिया हो। वैसे कुछ मामलों में ही यह बात सामने आती है। शिक्षा ऋण के मामले में बैैंकों के रवैए पर प्रहार करते हुए उन्होंने ने कहा कि हमलोग तो स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के तहत निगम बना कर विद्यार्थियों को राशि उपलब्ध करा रहे हैं। बैैंकों का हाल यह है कि 2018-19 में 50 हजार लोगों को शिक्षा ऋण देना था और मात्र 13 हजार को ही दिया गया।
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में बैैंकों की शाखाएं बढ़ाएं औऱ हर पंचायत में ब्रांच खोली जाय। इसके लिए पंचायत सरकार भवन में सरकार फ्री में जगह देने को तैयार हैैं। जहां पंचायत सरकार भवन नहीं है वहां भी जगह उपलब्ध करा देंगे। बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए बैैंक मदद करें। बिहार में पशुपालन एवं मत्स्यपालन में काफी संभावना है। इस क्षेत्र में भी यदि बैंक आगे आये तो बिहार की खुशहालीमें चार चांद लग सकता है लेकिन ऐसा हो नही रहा है।
डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने बैैंकरों से कहा कि नियोजित शिक्षक स्थाई कर्मी हैैं, बैैंक उन्हें वेतन के अनुपात में लोन मुहैया कराएं। बैंकों द्वारा सिक्कों को नही लेने की शिकायत पर कहा कि बैैंक सिक्कों को स्वीकार करें। कुछ बैैंक की शाखाओं द्वारा सिक्का जमा नहीं लेने से आम लोगों के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है। 25 लाख रुपए से अधिक के बड़े कर्जदारों की सूची को सार्वजनिक किया जाए। मोदी ने कहा कि सूबे के 13 बाढ़ प्रभावित जिलों में पीडि़तों को ओवरड्राफ्ट की सुविधा दी जाए तथा उनके कर्ज की पुनर्संरचना की जाए। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष दस लाख के लक्ष्य की जगह बैैंक केवल 2.19 लाख नए लोगों को ही किसान क्रेडिट कार्ड दे पाए थे। इस साल केंद्र सरकार ने केसीसी के लिए फसल बीमा की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। इसके साथ ही एक लाख की जगह बगैर मोरगेज के कर्ज की सीमा को 1.60 लाख कर दिया है। इसमें डेयरी, फिशरी और पॉल्ट्री के किसान भी शामिल हो गए हैैं।
उधर, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने भी बैंकों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि बैंकों के लापरवाहपूर्ण रवैये से यहां के लोगों को परेशानी हो रही है। यहां तक प्रधानमंत्री आवास योजना में भी लाेन नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि हां, कर्ज नहीं चुकानेवालों को आसानी से लोन मिल जाता है।