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2014 के चुनाव में भाजपा ने सीमांचल की चार, कोशी की दो और पूर्वी बिहार की दो यानी कुल आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन इस बार 2019 में भाजपा इनमें से सिर्फ एक सीट (अररिया) पर ही चुनाव लड़ रही है। बाकी सात सीटें जदयू को दी है। मोदी लहर में भाजपा सभी आठों सीट हार गई थी। पिछले साल अररिया सीट पर हुए उप चुनाव में भी भाजपा के प्रदीप सिंह की हार हुई थी। पार्टी ने हारी सीट पर फिर से हारे उम्मीदवार प्रदीप सिंह पर दांव लगाया है। पार्टी को भरोसा है कि जदयू के तीर के सहारे अररिया पर जीत हासिल कर सकेंगे। बता दें कि सीमांचल की चार सीटों में से तीन किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, कोशी की दो सीटें सुपौल और मधेपुरा और पूर्वी बिहार की भागलपुर और बांका सीटें बंटवारे में जदयू के हिस्से में गई हैं।
भाजपा नेता आठों सीटों पर एनडीए का परचम लहराने का दावा कर रहे हैं लेकिन 2014 के वोटिंग पैटर्न को देखें तो जीत आसान नहीं है। हालांकि, इस बार चुनाव समीकरण बीते चुनाव से थोड़ा अलग है। उस वक्त राजद और कांग्रेस साथ थी। इस बार भी साथ है लेकिन भाजपा और जदयू 2014 में अलग-अलग लड़ी थी मगर अबकी बार साथ है। इसलिए आंकड़ों के मद्देनजर नतीजों में उलटफेर भी हो सकता है।
पूर्णिया संसदीय क्षेत्र सीमांचल का हिस्सा है। 2014 में जदयू के संतोष कुशवाहा 4,18,826 मत लाकर जीते थे। इन्होंने भाजपा के उदय सिंह को पराजित किया था। इन्हें 3,02,157 वोट हासिल हुए थे। कांग्रेस के अमरनाथ तिवारी 1,24, 344 मत लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। अबकी भाजपा-जदयू साथ है। मगर बीते चुनाव में भाजपा के उदय सिंह ने इस दफा पाला बदलकर कांग्रेस का पंजा थाम लिया है और मुकाबले को रोचक बना दिया है।
अररिया सीट पर 2014 में राजद के तस्लीमुद्दीन जीते थे। इन्हें 4,07,978 वोट मिले थे। इनके मुकाबले भाजपा के प्रदीप सिंह को 2,61,474 मत मिले थे। वहीं जदयू के विजय कुमार मंडल को 2,21,769 वोट मिले थे। मगर तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद 2018 में हुए उप चुनाव में भाजपा-जदयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था, बावजूद जीत महगठबंधन की हुई। तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम राजद टिकट से लड़े और 5,09,334 मत हासिल कर भाजपा के प्रदीप सिंह को पराजित किया। इन्हें 4,47,346 वोट मिले। इस नतीजे पर गौर करें तो फिर से भाजपा की हार नजर आती है।
-कटिहार सीट पर 2014 में 3,16,552 वोट लाने वाली भाजपा ने 1,00,765 वोट लाने वाली जदयू को ये सीट दे दी है। तब भाजपा से निखिल कुमार चौधरी और जदयू से डा. रामप्रकाश महतो ने चुनाव लड़ा था। हालांकि, जीत राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के तारिक अनवर की हुई थी। अनवर ने 4,31,292 मत हासिल किए थे। इस बार तारिक अनवर कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं। इनके खिलाफ जदयू ने दुलाल चंद्र गोस्वामी को उतारा है। यहां भी मुकाबला कड़ा है।
अधिकांश मुस्लिम आबादी वाली किशनगंज सीट भी सीमांचल का हिस्सा है। 2014 में कांग्रेस के मो. असरारुल हक 4,93,461 मत लाकर जीते थे। दूसरे स्थान पर भाजपा के दिलीप कुमार जायसवाल थे। उन्होंने 2,98,849 मत पाए थे। तीसरे नंबर पर जदयू के अख्तारुल इमाम को 55,822 वोट मिले थे। इस बार भाजपा ने ये सीट जदयू को दे दी। इनके उम्मीदवार महमूद असरफ हैं। तो कांग्रेस के भी मुस्लिम उम्मीदवार ही हैं। एनडीए ने बिहार की 40 सीटों में से केवल दो पर ही मुस्लिम उम्मीदवार उतारे है। किशनगंज और खगड़िया से। इनमें से एक जदयू और एक लोजपा के उम्मीदवार हैं। लोजपा खगड़िया से वर्तमान सांसद महबूब अली कैसर को फिर से मैदान में उतारने जा रही है। भाजपा ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है।