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इन्सेफेलाइटिस से बिहार में 31 बच्चों की मौत, 2 जून से अब तक 86 मरीज हुए हैं एडमिट
बिहार में इस वक्त चमकी बुखार का प्रकोप बुरी तरह से छाया हुआ. इस बिमारी से लोग और ख़ास कर बच्चे बुरी तरह गुजर रहे हैं. सुनील शाही का कहना है कि 2 जून से अब तक 86 लोग हॉस्पिटल में एडमिट हुए हैं जिनमें से 31 बच्चों कि मौत हो गयी है. इस बीमारी के संबंध में शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर गोपाल सहनी ने बताया कि इस बीमारी से ग्रसित बच्चों को पहले तेज बुखार और शरीर में ऐंठन होती है और फिर वे बेहोश हो जाते हैं.
Bihar: 31 children have died in Muzaffarpur reportedly due to Acute Encephalitis Syndrome (AES). Sunil Shahi, Superintendent SKMCH, Muzaffarpur, says, "From Jan to June 2, 13 patients were admitted, of them 3 died. From June 2 to this day 86 people were admitted,of them 31 died". pic.twitter.com/eiGPweq0WN
— ANI (@ANI) June 12, 2019
बीमारी के कारणों को बताते हुए डॉ सहनी ने कहा कि इसका कारण अत्यधिक गर्मी के साथ-साथ ह्यूमिडिटी का लगातार 50 फीसदी से अधिक रहना है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी का अटैक अधिकतर सुबह के समय ही होता है. डॉक्टर सहनी ने कहा कि इस जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए परिजनों को अपने बच्चों पर खास ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने सलाह दी कि बच्चों में पानी की कमी न होने दें. डॉक्टर गोपाल ने कहा कि बच्चे को भूखा कभी न छोड़ें.
चपेट में आ रहे 15 वर्ष तक के बच्चे
इस बीमारी के शिकार आम तौर पर गरीब परिवारों के बच्चे ही हो रहे हैं. 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं और मृतक बच्चों में से अधिकांश की आयु 1 से 7 वर्ष के बीच है. गौरतलब है कि पूर्व के वर्षो में दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञों की टीम और पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम भी यहां इस बीमारी का अध्ययन कर चुकी है, लेकिन इन दोनों संस्थाओं ने इस बीमारी का पुख्ता निदान नहीं बताया है. लिहाजा प्रत्येक वर्ष दर्जनों मासूमों की जान जा रही है.