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वाराणसी: गंगा तट पर कैलाश खेर हुए कबीरमय

Ekta singh
13 Nov 2017 7:20 AM GMT
वाराणसी: गंगा तट पर कैलाश खेर हुए कबीरमय
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यह उत्सव रोम-रोम में कबीर को फिर महसूस करने के लिए 10 से 12 नवंबर के बीच आयोजित किया गया था. कैलाश को सुनने के लिए हजारों लोग गंगा किनारे जमा थे.

वाराणसी: वाराणसी के अस्सी घाट पर आयोजित कबीरा फेस्टिवल पर कैलाश खेर ने गंगा किनारे मौजूद सभी दर्शकों को सूफीमय बना दिया. सूफी गायक कैलाश खेर के धुनों के साथ ही महिंद्रा कबीर उत्सव का समापन हो गया.

यह उत्सव रोम-रोम में कबीर को फिर महसूस करने के लिए 10 से 12 नवंबर के बीच आयोजित किया गया था. कैलाश को सुनने के लिए हजारों लोग गंगा किनारे जमा थे. उनसे पहले पुष्कर से आए नगाडा वादक नाथू लाल सोलंकी, सूफी बैंड माटी बानी और सूफी गायक हरप्रीत ने अपनी प्रस्तुति दी.

रात करीब नौ बजे अस्सी घाट पर कैलाश खेर के मंच संभालने के साथ ही हर हर महादेव के जयकारे के साथ लोगों ने स्वागत किया. कैलाश ने अपने चिरपरिचित अंदाज में अभिवादन किया. उन्होंने जब संत कबीर को समर्पित गीत-पिया के रंग में रंग दीन्हीं ओढ़नी... पर सुर लगाया तो लोग झूमने लगे.

इस कार्यक्रम से जुड़ने के बारे में महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के उपाध्यक्ष एवं प्रमुख सांस्कृतिक आउटरीच जय शाह ने कहा, 'जब महिंद्रा कंपनी की स्थापना हुई तो यह 'महिंद्रा एंड मोहम्मद' के तौर पर हुई. शुरुआत से ही हमारे संगठन में कबीर के उपदेशों का महत्व है. साथ ही इसकी वर्तमान प्रासंगिकता भी है.

आजकल दुनिया बहुत ज्यादा अराजक, ध्रुवीकृत है, ऐसे में यदि स्थिर बुद्धिमत्ता के लिए कबीर की वाणी को उधार लेकर यदि हम छोटी सी आवाज भी उठा सकें तो यह महत्वपूर्ण है.

पद्मश्री गायिका शुभा मुद्गल की कबीरवाणी का आयोजन हुआ. इस मौके पर शुभा ने कहा, 'कबीर और काशी का दोनों महान हैं और दोनों का दुनिया में अपना स्थान है. लेकिन इस उत्सव से दोनों का संगम हो गया है.

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