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नोटबंदी और जीएसटी का दिवाली पर कहर, व्यापार 40 प्रतिशत कम
नई दिल्ली: नोटबंदी पर जीएसटी का इस बार दीपावली पर बड़ा असर पड़ा. इन दोनों की वजह से दीपावली पर प्रत्येक साल की अपेक्षा व्यापार में 40 प्रतिशत कमी देखी गई. यह कमी व्यापारियों के लिए बड़ा झटका साबित हुई. व्यापारियों के खुदरा संगठन कैट ने दावा किया कि यह पिछले 10 सालों की सबसे सुस्त दीपावली रही.
दीपावली को लेकर जी न्यूज ने लिखा है कि दीपावली त्यौहार के दस दिन पहले से शुरू होने वाली त्यौहारी बिक्री पिछले सालों में करीब 50 हजार करोड़ रुपये की रही है. इस साल यह 40 प्रतिशत नीचे गिर गयी और इस दृष्टि से यह 'पिछले दस सालों की सबसे खराब दीपावली रही.' कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि बाजारों में उपभोक्ताओं की कम उपस्थिति, सीमित खर्च आदि इस दीपावली कारोबार कम रहने के मुख्य कारण हैं. उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी के बाद अस्थिर बाजार तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था की दिक्कतों ने बाजार में संशय का माहौल तैयार किया जिसने उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों की धारणा प्रभावित की.
दीपावली को लेकर एंडीटीवी ने लिखा है कि नोटबंदी के बाद अस्थिर बाजार और जीएसटी व्यवस्था की दिक्कतों ने बाजार में संशय का माहौल तैयार किया. जिसने उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों की धारणा प्रभावित की. रेडीमेड कपड़े, उपहार के सामान, रसोई के सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद, एफएमसीजी वस्तुएं, घड़ियां, बैग-ट्रॉली, घर की साज-सज्जा, सुखे मेवे, मिठाइयां, नमकीन, फर्निचर, लाइट-बल्ब आदि चीजें दीपावली के दौरान मुख्य तौर पर खरीदी जाती हैं. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि बाजारों में उपभोक्ताओं की कम उपस्थिति, सीमित खर्च आदि इस दीपावली कारोबार कम रहने के मुख्य कारण हैं.
दवायर ने लिखा दीपावली का त्योहार आमतौर पर कारोबार और व्यापार जगत के लिए उत्साहवर्धक रहता आया है पर असंगठित क्षेत्र के व्यापारियों के एक प्रमुख का कहना है कि इस साल नोटबंदी तथा जीएसटी के कारण यह तस्वीर बदली हुई थी.
संगठन का दावा है कि इस दीपावली बिक्री में पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत की गिरावट आई और यह पिछले 10 सालों की सबसे सुस्त दीपावली मानी माना जा रहा है.
खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि कि देश में सालाना करीब 40 लाख करोड़ रुपये का खुदरा कारोबार होता है. इसमें संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी महज़ पांच प्रतिशत है जबकि शेष 95 प्रतिशत योगदान असंगठित क्षेत्र का है.
बयान के अनुसार, दीपावली के त्योहार के दस दिन पहले से शुरू होने वाली त्योहारी बिक्री पिछले सालों में करीब 50 हज़ार करोड़ रुपये की रही है. इस साल यह 40 प्रतिशत नीचे गिर गई और इस दृष्टि से यह पिछले दस सालों की सबसे ख़राब दीपावली रही है.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि बाजारों में उपभोक्ताओं की कम उपस्थिति, सीमित ख़र्च आदि इस बार दीपावली के कारोबार के कम रहने के मुख्य कारण हैं.
इन सब रुझानों से स्पष्ट होता नजर आ रहा है कि अब तक सबसे ज्यादा संतुष्ट नजर आ रहा खुदरा व्यापारी भी अब सरकार से नाराज दिखाई दे रहा है. हालांकि अब लोंगों की नजर शादी विवाह की सीजन पर टिकी हुई है. लेकिन लगता है अब सुधार दिखता मुश्किल ही नहीं नामुमकिन दिखाई दे रहा है. इस नाराजगी का खामियाजा सरकार भारी पड़ता नजर आ रहा है.