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CCD के मालिक वीजी सिद्धार्थ की भावुक चिट्ठी आई सामने: लिखा- लंबी लड़ाई लड़ी, लेकिन अब नहीं
नई दिल्ली : सीसीडी (Cafe Coffee Day) के फाउंडर और कर्नाटक के पूर्व सीएम एसएम कृष्णा के दामाद वीजी सिद्धार्थ के लापता होने के बाद एक पत्र सामने आया है। तीन दिन पहले लिखे गए इस खत में सिद्धार्थ ने अपनी परेशानियों का जिक्र किया है। पत्र में कंपनी को हो रहे नुकसान और भारी कर्ज की बात की गई है। इसके अलावा आयकर विभाग के एक पूर्व डीजी के दबाव की भी चर्चा है। सोमवार रात से ही सिद्धार्थ का पता नहीं है। उनके ड्राइवर के बयान के आधार पर पुलिस का मानना है कि शायद उन्होंने आत्महत्या कर ली है।
पत्र में सिद्धार्थ ने लिखा- देनदारों का दबाव
सिद्धार्थ के लापता होने के बाद यह लेटर सामने आया है जो 27 जुलाई को लिखा गया है। इसमें उन्होंने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और सीसीडी (Cafe Coffee Day) परिवार से कहा है कि 37 साल बाद वह अपनी तमाम कोशिशों के बाद भी एक सही और फायदे वाला बिजनस मॉडल नहीं तैयार कर सके हैं।
लंबे समय तक लड़ा पर अब हार मानता हूं
उन्होंने लिखा है, 'जिन लोगों ने मुझ पर विश्वास किया उन्हें निराश करने के लिए मैं माफी चाहता हूं। मैं लंबे समय से लड़ रहा लेकिन आज मैं हार मानता हूं क्योंकि मैं एक प्राइवेट इक्विटी लेंडर पार्टनर का दबाव नहीं झेल पा रहा हूं, जो मुझे शेयर वापस खरीदने के लिए फोर्स कर रहा है। इसका आधा ट्रांजैक्शन मैं 6 महीने पहले एक दोस्त से बड़ी रकम उधार लेने के बाद पूरा कर चुका हूं।' उन्होंने कहा है कि दूसरे लेंडर भी दबाव बना रहे थे जिस कारण वह हालात के सामने झुक गए हैं।
आयकर विभाग के पूर्व डीजी पर प्रताड़ना का आरोप
सिद्धार्थ ने अपने खत में आयकर विभाग के एक पूर्व डीजी पर प्रताड़ना का आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा है कि एक पूर्व डीजी ने उनके शेयर्स को दो बार अटैच किया जिससे माइंडट्री के साथ उनकी डील ब्लॉक हो गई और फिर कॉफी डे के शेयर्स की जगह ले ली, जबकि संशोधित रिटर्न्स उनकी ओर से फाइल किए जा चुके थे। सिद्धार्थ ने इसे अनुचित बताया है और लिखा है कि इसके कारण पैसे की कमी हो गई थी।
'जानकारी छिपाई, सिर्फ मैं जिम्मेदार'
सिद्धार्थ ने लेटर में अपने स्टाफ से नए मैनेजमेंट के साथ बिजनस चलाने के लिए कहा। उन्होंने हर गलती के लिए खुद को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने लिखा है, 'हर फाइनैंशल ट्रांजैक्शन मेरी जिम्मेदारी है। मेरी टीम, ऑडिटर्स और सीनियर मैनेजमेंट को मेरे सारे ट्रांजैक्शन्स के बारे में कुछ नहीं पता। कानून को मुझे और सिर्फ मुझे जिम्मेदार बताना चाहिए क्योंकि मैंने यह जानकारी सबसे छिपाई, अपने परिवार से भी।'
'धोखा देना नहीं था मकसद,
सिद्धार्थ ने खत में सफाई दी है कि उनका मकसद किसी को धोखा देने या गुमराह करने का नहीं था। उन्होंने खुद को एक असफल ऑन्त्रप्रन्योर बताया है और आशा की है कि उन्हें समझा और माफ किया जाएगा। खत के साथ उन्होंने अपनी संपत्तियों का ब्योरा और कीमत भी बताई है और कहा है कि उन पर चढ़े कर्ज से ज्यादा कीमत उनकी संपत्तियों की है, जिससे सभी का बकाया चुकाया जा सकता है।