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श्रम कानून : नया वेज रूल आने के बाद सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

Shiv Kumar Mishra
7 April 2021 4:36 AM GMT
श्रम कानून : नया वेज रूल आने के बाद सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
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नए नियम के तहत तमाम भत्ते कुल सैलरी के 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकते हैं। यानी कि अप्रैल 2021 से कुल सैलरी में बेसिक सैलरी का हिस्सा 50 फीसदी या फिर उससे भी अधिक रखना होगा। ये नया वेज रूल आने के बाद सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

मनीष कुमार गुप्ता

श्रम कानून के नियमों में बड़े बदलाव करने की तैयारी में है. बता दें कि 1 अप्रैल 2021 से नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत होगी, इसके साथ ही देश में श्रम कानूनों के नियमों में भी बदलाव हो जाएंगे.

केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार कल्याण मंत्रालय ने 4 श्रम संहिताओं यानी लेबर कोड के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। इन चारों संहिताओं को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अधिसूचित किया जा चुका है। लेकिन इन्हें अमल में लाने के लिए नियमों को भी नोटिफाई किए जाने की जरूरत है। अगर सरकार वेज की नई परिभाषा को लागू करती है तो पीएफ कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा। पहले पीएफ केवल बेसिक सैलरी, डीए और अन्य स्पेशल भत्तों पर कैलकुलेट किया जाता था। नए नियम के तहत तमाम भत्ते कुल सैलरी के 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकते हैं। यानी कि अप्रैल 2021 से कुल सैलरी में बेसिक सैलरी का हिस्सा 50 फीसदी या फिर उससे भी अधिक रखना होगा। ये नया वेज रूल आने के बाद सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

श्रम कानून के नियम और लाभ

नए नियमों के मुताबिक यदि निर्धारित घंटों से 15 मिनट भी ज्यादा काम हुआ तो इसे ओवरटाइम मानकर कर्मचारी को ओटी पेमेंट करना होगा. साथ ही कंपनियों को अपने कर्मचारियों को दिए जाने वाले यानी काम के बदले कंपनी आपको जो कुल पैसे देती है) में भी कुछ बदलाव करने पड़ेंगे.

सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने मिलेगा

श्रम कानून में बदलाव के साथ ही कंपनी को कर्मचारियों की बेसिक सैलरी उनकी सीटीसी की तुलना में 50 फीसदी करनी होगी. बता दें कि नए कानून के तहत किसी भी कर्मचारी का भत्ता कुल मिलने वाले वेतन से 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता है. इसका असर यह होगा कि कर्मचारी को मिलने वाली ग्रेच्युटी में बढ़ोतरी के साथ ही बोनस , पेंशन और पीएफ योगदान के साथ एचआरए, ओवरटाइम को वेतन से बाहर रखना होगा. इन सभी बदलाव के चलते आने वाले 1 अप्रैल से कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने मिलेगा.

नए श्रम कानून में हफ्ते में तीन दिन छुट्टी

नए श्रम कानून के तहत कोई कर्मचारी अगर 4 दिन में 48 घंटे का काम कर लेता है तो, उसे हफ्ते में 3 दिन छुट्टी लेने का अधिकार रहेगा. लेकिन इसके लिए कर्मचारियों को रोजना के हिसाब से अपने काम के घंटे बढ़ाने होंगे. यानी पहले आप एक दिन में 8 घंटे काम करते थे तो आपको 12 घंटे काम करना होगा. तभी 4 दिन में 48 घंटे पूरे होंगे. वर्तमान नियमों में वर्किंग 8 घंटे हैं.

नए श्रम कानून के तहत कोई कर्मचारी अगर 4 दिन में 48 घंटे का काम कर लेता है तो, उसे हफ्ते में 3 दिन छुट्टी लेने का अधिकार रहेगा. लेकिन इसके लिए कर्मचारियों को रोजना के हिसाब से अपने काम के घंटे बढ़ाने होंगे. यानी पहले आप एक दिन में 8 घंटे काम करते थे तो आपको 12 घंटे काम करना होगा. तभी 4 दिन में 48 घंटे पूरे होंगे. वर्तमान नियमों में वर्किंग 8 घंटे हैं.

नए श्रम कानून के तहत कोई कर्मचारी अगर अपने निर्धारित समय से 15 मिनट ज्यादा काम करता है तो उसे भी ओवरटाइम माना जाएगा. हालांकि अभी के नियमों के तहत कर्मचारी के अपने निर्धारित समय से आधा घंटा अधिक काम करने पर ओवरटाइम माना जाता है, लेकिन अब इसे घटाकर 15 मिनट कर दिया गया है.

सबसे ज्यादा ठेके पर काम करने वालों को फायदा

नए Labour Law में ओवरटाइम को लेकर किए जा रहे बदलावों का सबसे ज्यादा फायदा ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों (Contract labor) को मिलेगा. नए कानूनों के तहत थर्ड पार्टी के तहत काम करने वालों को भी बड़ी राहत देने का फैसला लिया गया है. इसमें ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिससे कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले व्यक्ति को वेतन काटकर न दिया जा सके. सरकार, श्रमिक संगठन (trade union) और उद्योग जगत के साथ हुई बैठक में चर्चा के बाद सहमति बनी है कि प्रमुख नियोक्ता यानी कंपनियां ही ये सुनिश्चित करेंगी कि उन्हें पूरा वेतन मिले.

पीएफ और ईएसआई की सुविधा

कर्मचारियों को पीएफ और ESI जैसी सुविधाओं का बंदोबस्त भी कंपनियों को ही सुनिश्चित करने संबंधी नियम बनाने के संकेत दे दिए गए हैं. सरकार की मंशा है कि नए प्रावधानों के जरिये अब कोई कंपनी यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकती कि कॉन्ट्रैक्टर या थर्ड पार्टी की तरफ से आए कर्मचारी को PF और ESI जैसी सुविधा नहीं दी जा सकती.

सरकार से मंजूरी लिए बिना ही कर्मचारियों की छंटनी

इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल- 2020 पारित हो चुका है। अब जिन कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 300 से कम है, वे सरकार से मंजूरी लिए बिना ही कर्मचारियों की छंटनी कर सकेंगी। अब तक ये प्रावधान सिर्फ उन्हीं कंपनियों के लिए था, जिसमें 100 से कम कर्मचारी हों। छंटनी या शटडाउन की मंजूरी उन्हीं संस्थानों को दी जाएगी, जिनके कर्मचारियों की संख्या पिछले 12 महीने में हर रोज औसतन 300 से कम ही रही हो। सरकार अधिसूचना जारी कर इस न्यूनतम संख्या को बढ़ा भी सकती है।वहीं बिल के मुताबिक किसी भी संगठन में काम करने वाला कोई भी कामगार बिना 60 दिन पहले नोटिस दिए हड़ताल पर नहीं जा सकता। फिलहाल ये अवधि छह हफ्ते की है.

अधिकतर लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नौकरी

ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020 कंपनियों को छूट देगा कि वे अधिकतर लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नौकरी दे सकें। कॉन्ट्रैक्ट को कई बार बढ़ाया जा सकेगा। इसके लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है। किसी भी मौजूदा कर्मचारी को कॉन्ट्रैक्ट वर्कर में तब्दील करने पर रोक का प्रावधान भी अब हटा दिया गया है। महिलाओं के लिए वर्किंग ऑवर (काम के घंटे) सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच ही रहेगा। शाम 7 बजे के बाद अगर काम कराया जा रहा है, तो सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी। कोई भी कर्मचारी एक हफ्ते में छह दिन से ज्यादा काम नहीं कर सकता। ओवरटाइम कराने पर उस दिन का दोगुना पैसा। बिना अपॉइंटमेंट लेटर के किसी की भर्ती नहीं हो सकेगी।

एक साल में मिल सकेगी ग्रैच्युटी

सोशल सिक्योरिटी बिल- 2020 के नए प्रावधानों में बताया गया है कि जिन लोगों को फिक्सड टर्म बेसिस पर नौकरी मिलेगी, उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का भी हक होगा यानी अब पांच साल पूरे की जरूरत नहीं है। इसका मतलब ये हुआ कि कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने वालों को उनके वेतन के साथ-साथ अब ग्रेच्युटी का फायदा भी मिलेगा चाहे कॉन्ट्रैक्ट कितने दिन का भी हो।

बता दें एक ही कंपनी में लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों को सैलरी, पेंशन और प्रोविडेंट फंड के अलावा ग्रेच्युटी भी दी जाती है। ग्रेच्युटी किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवार्ड होता है। अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर उसे दिया जाएगा। कुल वेतन के 50 प्रतिशत तक भत्ते को सीमित करने से स्टाफ की ग्रेच्युटी पर नियोक्ता का भुगतान भी बढ़ेगा और मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अगर कोई शख्स एक कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है।माना जा रहा है कि नया श्रम कानून आने के बाद सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इसका मतलब यह होगा कि कर्मचारियों के इन-हैंड वेतन में कटौती हो सकती है। वहीं, दूसरी ओर भविष्य निधि (पीएफ) जैसी सामाजिक सुरक्षा योजना के नाम पर होने वाली कटौती बढ़ जाएगी।

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