आर्थिक

म्यूचुअल फंड : कांसेप्ट, प्रबंधन और सुरक्षित निवेश

Special Coverage News
19 April 2019 12:51 PM GMT
म्यूचुअल फंड : कांसेप्ट, प्रबंधन और सुरक्षित निवेश
x

मनीष कुमार गुप्ता

आज हम आपको अपने देश में म्यूचुअल फंड और इस में इन्वेस्टमेंट की विशेष जानकारी दे रहे हैं ताकि आप म्यूचुअल फंड के सारे कांसेप्ट को समझ कर सही रणनीति अपना कर मुनाफा कमा सकें। म्यूचुअल फंड के कांसेप्ट को आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है। साथ ही साथ इसकी श्रेणियाँ और उनके प्रकार को भी स्पष्ट किया है। लेख के अंत में उपयोगिता के आधार पर उचित म्यूचुअल फंड के चुनाव का तरीका भी बताया है। तो आइए सबसे पहले समझते हैं कि म्यूचुअल फंड क्या है | जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पिछले 20 वर्षों में म्यूचुअल फंड इनकम टैक्स बचाने और इन्वेस्टमेंट करने के मामले में बेहद लोकप्रिय हो गए हैं फिर चाहे वो एक साथ इन्वेस्टमेंट करना हो या धीरे-धीरे, इक्विटी में लगाना हो या डिबेंचर में, म्यूचुअल फंड एक महत्वपूर्ण ऑप्शन बनकर सामने आया है | एक समय में यह सिर्फ एक अस्पष्ट वित्तीय का साधन था जो अब हमारे दैनिक जीवन का एक हिस्सा है। वास्तव में कई लोगों के लिए निवेश का अर्थ है म्यूचुअल फंड खरीदना। अब यह सर्वमान्य विचार है कि म्यूचुअल फंड में थोड़ा बहुत निवेश अवश्य करना चाहिए |

म्यूचुअल फंड क्या है

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में हमारे और आपके जैसे ढेर सारे लोगों का पैसा एक रेपुटेड (reputed) संस्थान के अंतर्गत इकट्ठा किया जाता है जिसको इस सन्दर्भ में बनाये गए सभी नियम पालन करने पर सेबी से अनुमति प्राप्त होती है । इस पैसे के प्रबंधन (manage) करने की जिम्मेदारी एक निधि प्रबंधक (fund manager) को दी जाती है। ये फंड मैनेजर निवेश के मामलों का विशेषज्ञ होता है। ये मैनेजर शेयर या बंधन (bond) में पैसे लगाकर ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने की कोशिश करता है। उसकी कोशिश होती है कि कम जोखिम उठाकर ज्यादा कमाई कैसे की जाए। जो लोग इस फण्ड में पैसा लगते हैं उनको कंपनी के शेयर की तरह यूनिट दी जाती हैं और इस तरह म्यूचुअल फंड के जरिए एक छोटा निवेशक भी विशेषज्ञ की सेवाएं ले पाता है।

म्यूचुअल फंड निवेश का ऐसा तरीका होता है, जिसमें आप थोड़ा समझदारी के साथ पैसा लगाते हैं तो अच्छी कमाई की उम्मीद कर सकते हैं। साथ ही साथ टैक्स की बचत का फायदा भी उठा सकते हैं लेकिन चूंकि, इसका सीधा संबंध शेयर बाजार में निवेश करने से है, इसलिए कमाई के इस रास्ते में कुछ जोखिम भी होता है। अगर आपने लापरवाही बरती तो कमाई तो दूर रही, आपकी जमा-पूंजी भी डूबने में देर नहीं लगेगी। बहरहाल अगर आप इस की मूल बातों को समझ लेते हैं तो न सिर्फ इस जोखिम को कम से कम किया जा सकता है बल्कि अच्छी कमाई भी की जा सकती है |

म्यूचुअल फंड के लाभ:

1) योजनाओं की विविधता :

व्यक्तियों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए फंड हाउस द्वारा डिज़ाइन की गई म्यूचुअल फंड योजनाओं की विभिन्न श्रेणियां हैं। म्यूचुअल फंड योजनाओं की व्यापक श्रेणियों में इक्विटी फंड, ऋण निधि, तथा हाइब्रिड फंड शामिल हैं। ये योजनाएँ जोखिम और वापसी, निवेश के कार्यकाल, अंतर्निहित पोर्टफोलियो संरचना और इसी तरह से भिन्न हैं। इन मापदंडों के आधार पर, ऐसे व्यक्ति जो पहले ही काफी वित्तीय जोखिम ले चुके हैं या और जोखिम नहीं लेना चाहते, वे डेट फंड में निवेश चुन सकते हैं जबकि जोखिम लेने वाले व्यक्ति इक्विटी फंड में निवेश करना चुन सकते हैं। हाइब्रिड फंड्स को जोखिम-तटस्थ व्यक्तियों द्वारा चुना जा सकता है जो जोखिम का समुचित संयोजन (Proper combination) हो सकता है |

2) जोखिम विविधता:

म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में कई शेयर, बॉन्ड और कई अन्य वित्तीय उपकरण होते हैं। एक परिणाम के रूप में, व्यक्ति विभिन्न म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करके, विभिन्न उपकरणों में अपनी होल्डिंग को विविधता प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा, व्यक्ति विभिन्न म्यूचुअल फंड योजनाओं में अपनी होल्डिंग को भी विविधता प्रदान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, जो व्यक्ति अधिक जोखिम नहीं ले सकते है, वे अपने कुल निवेश का 60% ऋण में शेष 40% के लिए इक्विटी फंड में निवेश करना चुन सकते हैं। इसके विपरीत, जोखिम लेने वाले व्यक्ति एक बड़ा हिस्सा निवेश करना पसंद करेंगे, उदाहरण के लिए, इक्विटी में उनके निवेश का 70%-80% तक भी हो सकता है। इस प्रकार, व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अपनी होल्डिंग में विविधता ला सकते हैं।

3) छोटी मात्रा में निवेश

म्यूचुअल फंड में एसआईपी (SIP) या व्यवस्थित निवेश योजना में भी निवेश कर सकते हैं। एसआईपी (SIP) म्यूचुअल फंड में निवेश का एक तरीका है जिसमें व्यक्तियों को नियमित अंतराल पर छोटी मात्रा में निवेश करने की आवश्यकता होती है। एसआईपी (SIP) के माध्यम से निवेशक विभिन्न उद्देश्यों को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं जैसे घर खरीदना, वाहन खरीदना, सेवानिवृत्ति योजना, और इसलिए, SIP को लक्ष्य आधारित निवेश के रूप में भी जाना जाता है। म्यूचुअल फंड में न्यूनतम 500 रुपये के साथ निवेश शुरू किया जा सकता है।

4) पेशेवर रूप से प्रबंधित (Professionally Managed)

म्यूचुअल फंड योजनाओं का प्रबंधन योग्य पेशेवर विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। इन फंड मैनेजरों की साख (reputation) को जमा करने से पहले सत्यापित (Verified) किया जा सकता है। ये पेशेवर जानते हैं कि म्यूचुअल फंड का पैसा कहाँ निवेश करना है ताकि फंड अधिक से अधिक लाभ कमा सके। इसके अलावा ये म्यूचुअल फंड अच्छी तरह से विनियमित और संचालित होते हैं। ये नियमित अंतराल पर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करते हैं ताकि निवेशक समझ सकें कि म्यूचुअल फंड स्कीम कैसा प्रदर्शन कर रही है। साथ ही, विभिन्न नियामक अधिकारियों द्वारा उनकी निगरानी की जाती है इसका तात्पर्य यह है कि पूरी पारदर्शिता वर्ती (Transparency) की जाती है |

5) लिक्विडिटी (Liquidity)

म्यूचुअल फंड्स की लिक्विडिटी अर्थात तरलता का अर्थ है कि व्यक्ति अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी समय म्यूचुअल फंड से अपना पैसा आसानी से निकाल सकते हैं। कुछ म्यूचुअल फंड योजनाओं में, विशेष रूप से कुछ लिक्विड फंड योजनाओं, व्यक्तियों को आदेश रखने के 30 मिनट के भीतर अपना पैसा बैंक खाते में जमा करवा सकते हैं। अन्य योजनाओं में, निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार पैसा निकलने की प्रक्रिया होती है। इसलिए म्यूचुअल फंड्स के मामले में लिक्विडिटी का स्तर अधिक होता है।

6) उपयोग की सरलता

म्यूचुअल फंड में निवेश विभिन्न चैनलों जैसे म्यूचुअल फंड वितरकों, फंड हाउस, दलालों (Borkers) और अन्य विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से किया जा सकता है। हालांकि, वितरकों के माध्यम से जाना सुविधाजनक है क्योंकि व्यक्ति एक ही छत के नीचे विभिन्न फंड हाउसों द्वारा दी जाने वाली कई योजनाओं को पा सकते हैं। इसके अलावा, ब्रोकर निवेश का एक ऑनलाइन मोड प्रदान करते हैं जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी सुविधा के अनुसार कहीं से भी और किसी भी समय निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा, वे ग्राहकों से कोई शुल्क भी नहीं लेते हैं।

म्यूचुअल फंड की सीमाएं

1) रिटर्न गारंटीड नहीं हैं

म्युचुअल फंड पर रिटर्न की गारंटी नहीं होती क्योंकि पोर्टफोलियो का हिस्सा बनने वाला प्रत्येक उपकरण (instrument) एक निश्चित तत्व को वहन करता है। इसलिए, कुछ साधनों में जोखिम की मात्रा अधिक होती है जबकि अन्य में कम होती है। इसके अलावा, म्यूचुअल फंड के रिटर्न बाजार जोखिम से जुड़े होते हैं। इसलिए, म्यूचुअल फंड पर रिटर्न की गारंटी नहीं है। हालांकि, अगर इक्विटी फंड अधिक लंबे समय के लिए रखे जाते हैं तो जोखिम की संभावना कम हो जाती है। पुराने फण्ड के पिछले रिकार्ड देखने पर भी आपको आवश्यक जानकारी प्राप्त हो जाती है | यहां तक की एसआईपी मोड के माध्यम से निवेश करके, व्यक्ति अपनी पूरी हिस्सेदारी को जोखिम में नहीं डालते हैं। परिणामस्वरूप, व्यक्ति इन तकनीकों के माध्यम से अधिकतम संभव रिटर्न अर्जित कर सकते हैं । म्यूचुअल फंड के मामले में इससे जुड़ी लागत भी लाभ का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि संबंधित व्यय (खर्चे की दर) अधिक हैं, तो यह लाभ का एक हिस्सा खा जाएगी । इसलिए निवेशकों को किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले व्यय अनुपात की जांच करनी चाहिए, ताकि कहीं ऐसा न हो की म्यूचुअल फंड भले ही अच्छा मुनाफा कमाएं, फिर भी निवेशक के हाथ में बहुत ज्यादा न आ पाए |

2) लॉक-इन अवधि (Lock in Period)

कुछ म्यूचुअल फंड जैसे कि क्लोज एंडेड (Closes Ended) वाले और ईएलएसएस (ELSS) आदि में लॉक-इन अवधि के दौरान व्यक्ति अपने पैसे को भुना नहीं सकते। दूसरे शब्दों में, ऐसे निवेशों में उनका पैसा पहले से तय समय के लिए अवरुद्ध हो जाता है। इसलिए सभी निवेशकों को लॉक-इन अवधि पर ध्यान रखना चाहिए, अन्यथा आवश्यकता पड़ने पर वे धन का उपयोग नहीं कर पाएंगे। हालांकि ईएलएसएस (ELSS) का एक लाभ यह है कि करदाताओं को आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन (section) 80C के तहत 1,50,000 रुपये तक की कर कटौती का दावा कर सकता है |

अच्छे म्यूचुअल फंड्स का चयन कैसे करें

म्यूचुअल फंड के फायदे और नुकसान को समझने के बाद, आइए अब हम इसकी प्रक्रिया को समझें और अच्छे म्यूचुअल फंड का चयन कैसे करें। इन चरणों को नीचे सूचीबद्ध किया गया है।

अपने निवेश के उद्देश्य का वर्णन करें:-

व्यक्तियों को पहले म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करने से पहले अपने निवेश उद्देश्य का वर्णन करना होगा। यहां, उन्हें निवेश पर अपने अपेक्षित रिटर्न, निवेश के कार्यकाल, जोखिम-भूख और अन्य संबंधित कारकों को भी परिभाषित करना चाहिए। इससे उन्हें उस प्रकार की योजना का चयन करने में मदद मिलेगी जो उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप हो ।

म्यूचुअल फंड रेटिंग का विश्लेषण करें:-

आवश्यकताओं के अनुरूप म्यूचुअल फंड के प्रकार को चुनने के बाद, अगला काम म्यूचुअल फंड रेटिंग की जांच करना है | इस चरण में, व्यक्तियों को योजना के पिछले प्रदर्शन, इसकी AUM, पोर्टफोलियो संरचना, निधि आयु, निकास लोड (exit Load) और अन्य कारकों को सत्यापित करने की आवश्यकता है।

एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Asset Management Company) यानि एएमसी (AMC) के बारे में जानकारी एकत्रित करना:-

इस चरण में व्यक्तियों को एएमसी (AMC) के फंड और म्यूचुअल फंड स्कीम का प्रबंधन करने वाले फंड मैनेजर की जांच करनी होगी। एएमसी (AMC) पर रिसर्च महत्वपूर्ण और आवश्यक है क्योंकि यह एएमसी (AMC) ही है जो म्यूचुअल फंड योजना का प्रबंधन करता है।

अपने निवेश की निगरानी करें:-

यह अंतिम चरण है जहां व्यक्तियों को नियमित रूप से अपने निवेश की निगरानी करने की आवश्यकता होती है। यदि आवश्यक हो, तो वे अधिकतम संभावित रिटर्न अर्जित करने के लिए अपने पोर्टफोलियो को भी दुबारा बैलेंस कर सकते हैं या फेरबदल कर सकते हैं |

लेखक मनीष कुमार गुप्ता आर्थिक मामलों के जानकार है

Tags
Special Coverage News

Special Coverage News

    Next Story