आर्थिक

SBI के इस फैसले से 42 करोड़ ग्राहकों का होगा मोटा फायदा, जानिए क्या-क्या होगा असर

Arun Mishra
7 Feb 2020 6:21 AM GMT
SBI के इस फैसले से 42 करोड़ ग्राहकों का होगा मोटा फायदा, जानिए क्या-क्या होगा असर
x
SBI ने सभी परिपक्वता अवधि के कर्ज के ऊपर मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) में 0.05 फीसदी की कटौती करने का ऐलान किया है.

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank-SBI) के ब्याज दरों पर लिए गए फैसले से 42 करोड़ ग्राहकों पर बड़ा असर पड़ सकता है. दरअसल, SBI ने सभी परिपक्वता अवधि के कर्ज के ऊपर मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) में 0.05 फीसदी की कटौती करने का ऐलान किया है. बता दें कि SBI ने चालू वित्त वर्ष में लगातार नवीं बार MCLR में कटौती करने का ऐलान किया है. MCLR घटने के बाद एसबीआई के ग्राहकों का होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन सस्ता हो गया है. SBI ने कहा कि नई दरें 10 फरवरी से प्रभावी होंगी.

एक साल की परिपक्वता अवधि वाले ऋण का MCLR कम होकर 7.85 फीसदी

बैंक ने एक बयान में कहा कि इस कटौती के बाद एक साल की परिपक्वता अवधि वाले ऋण का एमसीएलआर (MCLR) कम होकर 7.85 प्रतिशत पर आ गया है. बैंक ने एमसीएलआर में यह कटौती रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा के एक दिन बाद की है. रिजर्व बैंक ने बैठक के बाद बृहस्पतिवार को रेपो दर को 5.15 प्रतिशत पर यथवत बनाये रखा. हालांकि केंद्रीय बैंक ने एक लाख करोड़ रुपये तक की राशि के लिये दीर्घकालिक रेपो की घोषणा की. इससे वाणिज्यिक बैंकों के लिये कर्ज जुटाना सस्ता हो गया.

एसबीआई (SBI) ने कहा कि उसने बैंकिंग प्रणाली में तरलता की अधिकता को देखते हुए दो करोड़ रुपये से कम के खुदरा जमा और दो करोड़ रुपये से अधिक के थोक जमा की ब्याज दरों में भी संशोधन किया है. खुदरा जमा के लिये ब्याज दर में 0.1 से 0.5 प्रतिशत तक की और थोक जमा में 0.25 प्रतिशत से 0.50 प्रतिशत तक की कटौती की गयी है. नई दरें 10 फरवरी से प्रभावी हैं.

होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन सस्ता हो जाएगा

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के ब्याज दर को घटाने के बाद ग्राहकों का होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन सस्ता हो जाएगा. गौरतलब है कि MCLR घटने से मौजूदा लोन सस्ते हो जाते हैं. ग्राहकों को पुरानी EMI के मुकाबले घटी हुई EMI देनी पड़ती है.

क्या होता है MCLR - What is MCLR

MCLR को मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट भी कहते हैं. इसके तहत बैंक अपने फंड की लागत के हिसाब से लोन की दरें तय करते हैं. ये बेंचमार्क दर होती है. इसके बढ़ने से आपके बैंक से लिए गए सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं. साथ ही MCLR घटने पर लोन की EMI सस्ती हो जाती है. (इनपुट भाषा)

Tags
Arun Mishra

Arun Mishra

Sub-Editor of Special Coverage News

Next Story