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अमेरिका-ईरान में टेंशन से कच्‍चे तेल में लगी आग, भारत के लिए खतरे की घंटी क्‍यों?

Shiv Kumar Mishra
8 Jan 2020 7:13 AM GMT
अमेरिका-ईरान में टेंशन से कच्‍चे तेल में लगी आग, भारत के लिए खतरे की घंटी क्‍यों?
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अमेरिका और ईरान के बीच तनाव की वजह कच्‍चे तेल के भाव में जबरदस्‍त तेजी आई है. इसका असर आने वाले दिनों में भारत पर पड़ने की आशंका है.

तेजी से बदलते घटनाक्रम को देखें तो दुनिया के दो बड़े देश अमेरिका और ईरान जंग की ओर बढ़ रहे हैं. दरअसल, बीते शुक्रवार को अमेरिका ने इराक की राजधानी बगदाद में एयरपोर्ट पर हवाई हमला किया. इस हमले में ईरान के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई. इस घटना की वजह से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. ईरान ने अमेरिका को सबक सिखाने की धमकी दी है तो वहीं अमेरिका ने इसके गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे डाली है. इस बीच, तनाव की वजह से अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कच्‍चे तेल के भाव बढ़ गए हैं.

अमेरिका-ईरान में तनाव के 6 दिन

बीते शुक्रवार को अमेरिकी एयर स्ट्राइक के बाद कच्चे तेल का भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में 5 फीसदी तक उछला. शुक्रवार को कारोबार के दौरान यह 70 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था और आखिरकार 68.76 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ. वहीं सोमवार तक कच्‍चे तेल का भाव 70 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया.

हालांकि मंगलवार को अमेरिका और ईरान के बीच तनाव टलने की उम्‍मीद से कच्‍चे तेल के भाव में नरमी आ गई और यह एक बार फिर 65 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गया. लेकिन बुधवार को ईरान की जवाबी कार्रवाई के बाद भाव 71 डॉलर के पार चला गया. इससे पहले कच्‍चे तेल का भाव 16 सितंबर 2019 को 71.95 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया था. तब सऊदी अरब स्थित दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी के दो संयंत्रों पर ड्रोन अटैक हुआ था. कहने का मतलब ये है कि अमेरिका और ईरान के बीच तनाव का सिलसिला जारी रहा तो यह रिकॉर्ड भी टूट सकता है.

भारत के लिए खतरे की घंटी क्‍यों?

कच्‍चे तेल के भाव में तेजी से आने वाले दिनों में भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ेंगी. दरअसल, भारत कुल 85 फीसदी कच्‍चे तेल का आयात करता है. ऐसे में कच्‍चे तेल में तेजी आने का मतलब ये है कि हमें दूसरे देशों से इसे खरीदने पर खर्च अधिक करना पड़ेगा. इस वजह से चालू खाता घाटा भी बढ़ सकता है. कच्‍चे तेल के भाव में उछाल से रुपये भी कमजोर हो जाता है. रुपये के कमजोर होने का मतलब ये है कि हमें किसी भी चीज की खरीदारी के लिए पहले के मुकाबले ज्‍यादा डॉलर खर्च करने होंगे. ऐसे में विदेशों में घूमना-रहना या पढ़ना महंगा हो जाएगा.

वहीं पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ने की वजह से महंगाई बढ़ जाती है. महंगाई का असर सब्‍जी से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी में इस्‍तेमाल होने वाले प्रोडक्‍ट पर भी पड़ता है. महंगाई कम होने की वजह से रिजर्व बैंक पर दबाव कम रहता है और ऐसे में वह ब्याज दर में कटौती कर सकता है.

ब्‍याज दर कटौती का मतलब ये है कि आपके लोन और ईएमआई कम हो जाते हैं. इसी तरह सोना और चांदी खरीदना भी मुश्किल होगा. दरअसल, वैश्विक तनाव बढ़ने पर निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए सोने-चांदी का रुख करते हैं. इसका नतीजा ये होता है कि सोने की डिमांड बढ़ जाती है. सोने की डिमांड बढ़ने की वजह से कीमत में इजाफा होता है.

बुधवार को पेट्रोल-डीजल का हाल

इस बीच, बुधवार को पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर रहे. इसी के साथ नए साल में लगातार छह दिनों की बढ़ोतरी पर भी ब्रेक लग गया है. इंडियन ऑयल की वेबसाइट के मुताबिक दिल्ली, कोलकता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल का दाम बिना किसी बदलाव के क्रमश: 75.74 रुपये, 78.33 रुपये, 81.33 रुपये और 78.69 रुपये प्रति लीटर बना हुआ था. वहीं, चारों महानगरों में डीजल की कीमत भी क्रमश: 68.79 रुपये, 71.15 रुपये, 72.14 रुपये और 72.69 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर बनी रही.

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