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फिर वैताल डाल पर

फिर वैताल डाल पर
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900 करोड़ रूपये के चारा घोटाला के एक और मामले में दोषी करार दिये गये पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सीबीआई कोर्ट ने एक बार फिर जेल की यात्रा करने को विवश कर दिया,.27 जनवरी 1996 को चाईवासा थाने में दर्ज पहले मामले में किसी ने कल्पना भी नही की थी कि यह मामला इतना बड़ा होगा जिसमें लालू यादव को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी तो छोड़नी ही पड़ेगी चुनावी राजनीति से भी बेदखल भी होना पड़ेगा. मुझे पूरी तरह से याद है 30 जुलाई 1997 का वह मंजर जब लालू प्रसाद यादव पहली बार जेल जा रहे थे. पटना सिविल कोर्ट से लेकर विशेष जेल तक जाने में उन्हें कई घंटे लग गये थे.


उस समय बिहार के मुख्यमंत्री के पद पर राबड़ी देवी थी तो लालू के दायें बायें राम श्याम की जोड़ी ( राम कृपाल यादव और श्याम रजक ) थी. यानि बिहार में अपनी सरकार होने के साथ ही कार्यकर्ताओं और समर्थको की लंबी फौज . मंडल मसीहा के रूप में लालू उस समय पूरी तरह रौ में थे. लेकिन 20 वर्षो के बाद पहली बार ऐसा है कि केन्द्र और बिहार में तो लालू विरोधी सरकार है ही झारखंड में भी वे सत्ता में नही है. सितंबर 2013 को जब छठी बार लालू जेल गये थे झारखंड में उनकी पार्टी भी सरकार में शामिल थी जिस वजह से जेल में उन्हें कठिनाईयों का सामना नही करना पड़ा.


हालांकि बिहार में राजनीतिक रूप से लालू सबसे बड़े दल के मुखिया तो है लेकिन सरकार के साथ - साथ राम श्याम की जोड़ी समेत अनेक पुराने समर्थक उनका साथ छोड़ चुके हैं.पिछले 20 वर्षो में बहुत कुछ राजनीतिक परिवर्तन भी हुए है. लेकिन एक बार फिर बिहार में जातीय समीकरण 20 साल पहले की तरह दिखने की संभावना लग रही है. 23 दिसंबर को सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद जगन्नाथ मिश्र को बेल और लालू को जेल के जो नारे राजद समर्थकों द्वारा लगाये जा रहे हैं और राजद के बड़े नेताओं ने बड़ी चालाकि से इस फैसले का राजनीतिक लाभ लेने की कवायद शुरू की है कोई आश्चर्य नही कि बिहार में एक बार फिर जातिगत आधार पर वोट की राजनीति चरम पर होगी .


हालांकि 2017 के राजद में राम श्याम के अलावे साधु सुभाष की जोड़ी भी नही है और तेज प्रताप और तेजस्वी यादव की जोड़ी के द्वारा फूंक - फूंक कर कदम उठाये जा रहे हैं यही वजह है लालू को दोषी करार दिये जाने के बाद भी इस बार राजद के कार्यकर्ताओं ने संयम से काम लिया है और मौन आक्रोश व्यक्त कियाहै. लेकिन जाति का वैताल एक बार फिर से डाल पर बैठा दिख रहा है . फिलहाल देखिये आगे - आगे होता है क्या.

अशोक कुमार मिश्र

अशोक कुमार मिश्र

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