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सत्ता की नाकामी को ढाँप लेने को, 2019 के चुनाव तक जाने कितने 'कासगंजों' की भेंट चढ़ेंगे न जाने कितने 'चंदन'

सत्ता की नाकामी को ढाँप लेने को, 2019 के चुनाव तक जाने कितने कासगंजों की भेंट चढ़ेंगे न जाने कितने चंदन
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उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह ने एक बार फिर यूपी और केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि कासगंज के 'अश्वमेघ' का रक्तरंजित अभिषिक्त घोड़ा दूर तक दौड़ेगा.

उन्होंने कहा है कि ऐतरेय ये दंगाई 'अश्व' लाँघ जाएगा. पीड़ित 'युवाओं के मध्य बेरोज़गारी' की समस्या को. आत्महत्या करते किसानों-मज़दूरों की दुर्दशा को. महँगाई की मार को और विकास की 'कपोलकल्पित' धार को. यहाँ तक कि ग़रीब की ग़रीबी को भी. सबको लाँघ जाएगा, ये बलशाली बलवाई 'अश्व'. कभी कभार मंदिर-मस्जिद के नाम पर कुलाँचे भी भरेगा ये उदंडी 'अश्व'. रोकना मुश्किल होगा इसे. चुनावी हुड़दंग़ में और भी बेलगाम हो जायेग़ा, यह मदमस्त घोड़ा.

सूर्यप्रताप ने कहा कि देखते रहिए, उत्तर प्रदेश में 'दंग़ो' और 'युवाओं की बेरोज़गारी व किसानों की दुर्दशा' के मध्य लुका-छुपी का खेल लम्बा चलेगा. 2019 के चुनाव तक जाने कितने 'कासगंजों' की भेंट चढ़ेंगे न जाने कितने 'चंदन'. सत्ता की नाकामी को ढाँप लेने की अद्भुत क्षमता होती है इन पापी 'दंग़ो' में. दंग़ो का दोष मढ़ा जाएगा. कभी 'इस' पर और कभी 'उस' पर . और अंत में ठीकरा फूटेगा 'प्रशासन के निकम्मेपन' पर .

उन्होंने कहा कि जान लीजिए मित्रों ! 'दंगे कभी होते नहीं हैं, बल्कि कराए जाते हैं।' कौन करता है ये दंगे ? जाति-धर्माधारित वोट की राजनीति के आलम्बरदार कराते हैं , ये दंगे . 'बांटो और राज करो' का गोरखधंधा. ख़ूब फल-फूल रहा है, इस देश व प्रदेश में.
मेरी दो लाइन देखें.
'जिनके कांधे पर पड़ी, जनमानस की लाश।
वे ही दावा कर रहे, बदलेंगे इतिहास॥'
शिव कुमार मिश्र

शिव कुमार मिश्र

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