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बड़ी खबर: टीवी पर मौलवी मौलानाओं के ब्यान से जीत रही है भाजपा!
टीवी चर्चा में मौलवियों केे बयान
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लगातार वायरल हो रही है किटीवी पर हो रही बहसों में मौलानाओं द्वारा की जा रही बयानबाजी भाजपा की जीत केे लिए रास्ता हमवार करती है। पोस्ट केे अनुसार देश में जब भी कहीं चुनाव आता है तो भाजपा के नेता कोई न कोई विवादित बयान दे ही देते हैं जिसके पीछे कोई न कोई सोची समझी साजिश होती है। उस बयान पर टीवी चैनल चर्चा करवाते हैं जो कि सरकार द्वारा पहले से तैयार की गयी भूमिका होती है।
इन बहसों में मुसलमानों केे धार्मिक नेताओं को भी बुलाया जाता है और कई बार तो ऐसी बहसों में भी मौलानाओं को बुला लिया जाता है जिनका मुस्लिम समुदाय से दूर का वास्ता भी नहीं होता। उदाहरण के तौर पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों को बेचे जाने संबंधी आदेश केे ऊपर हो रही चर्चा में भी एक मौलाना को बुलाया गया था जबकि उस चर्चा से किसी मौलाना का क्या सरोकार हो सकता है। देश में मुसलमानों की आबादी लगभग 16 प्रतिशत है और एक सर्वेक्षण केे मुताबिक मात्र 0.8 प्रतिशत लोगों के पास ही टीवी है इसलिए मुसलमानों की एक बड़ी संख्या टीवी देख ही नहीं पाती।
वहीं दूसरी ओर 80 प्रतिशत हिंदुओं के घरों में टीवी है जो अक्सर समाचार सुनते हैं और टीवी देखते हैं। न्यूज चैनल बहस करवाते हैं कि 'अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए कि नही, 'बाबर लुटेरा था कि नही', 'ताजमहल तेजो महल है कि नहीं, 'भारत के मुसलमान राम मंदिर बनवाने में सहयोग करेंगे कि नहीं तमाम ऐसे जज्बाती मसलों पर मौलानाओं को शामिल करते हैं और फिर मौलाना भड़काऊ बहस करते हैं जिससे आम हिंदू की भावना भड़काई जाती है।
मौलवी साहब का मामला है कि वह अगर कहे कि राम मंदिर नहीं बाबरी मस्जिद बनेगी तो भी भाजपा को फायदा और यदि ये कहें कि मंदिर बनेगा मस्जिद नहीं तो मुसलमानियत का खतरा। कुल मिला कर दोनों सूरतों में भाजपा को मौका मिलता है हिंदुओं का धार्मिक ध्रुवीकरण करने का। वायरल हो रहे इस पोस्ट में बहुत गंभीर मुद्दे की तरफ ध्यान दिलाया गया है। हमारे मौलवी साहेबान को चाहिए कि वह मीडिया के हाथ का खिलौना बनना बंद करें। वह ऐसी बहसों में जाना बंद कर दें तो क्या हर्ज हो जाएगा।
लेकिन मौलानाओं की कैमरों पर चमकने की आदत तथा अपने आप को मशहूर करने की होड़ ने इन्हें मजाक बना कर रख दिया है। अगर यह मौलाना लोग टीवी पर चल रहे विवादित बयान पर हिस्सा न लें तो यकीन के साथ मैं कह सकता हूं कि भाजपा हार जायेगी और हिंदुओं के जज्बात भी नहीं भड़कंेगे। टीवी चैनलों पर केवल भाजपा और जनता के बीच बहस होने दीजिए। जनता तब उनको मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कालाधन, नोटबंदी, जीएसटी के मुद्दे पर मार मार कर भगा देगी।