Archived

क्या रेल मंत्री भी लोन लेकर रेल हो गए? या शिर्डी का चमत्कार!

रवीश कुमार
4 April 2018 7:00 AM GMT
क्या रेल मंत्री भी लोन लेकर रेल हो गए? या शिर्डी का चमत्कार!
x
न खाऊंगा ने खाने दूंगा, लेकिन जिन्होंने पहले खा लिया है उनका क्या होगा?
रेल हो जाना एक मुहावरा है। दोनों अर्थों में इस्तमाल होता है। सबसे तेज़ भागना या फिर किसी का झपट कर भाग जाना। वायर की रोहिणी सिंह ने जय शाह मामले की रिपोर्ट के बाद पीयूष गोयल से संबंधित एक ख़बर की है। एक ऐसी कंपनी की कहानी है जिसने 650 करोड़ के लोन का गबन किया है जिसे अंग्रेज़ी में डिफॉल्ट करना कहते हैं। ऐसे लगता है जैसे ग़लती से गबन हो गया। रिपोर्ट के अनुसार पीयूष गोयल इस कंपनी के चेयरमैन और डायरेक्टर थे। बाद में निकल गए जैसा कि हर ऐसी कंपनी के साथ होता है, प्रभावशाली आदमी बाद में निकल जाता है ताकि कह सके कि उसने तो कंपनी कब की छोड़ दी।
मुंबई की शिर्डी इंडस्ट्री है। जुलाई 2010 तक गोयल इसके चैयरमैन थे जिस दौरान इसने लोन लिया और पहली ही किश्त चुकाने में हुई देरी के कारण क्रिसिल जैसी रेटिंग एजेंसी ने फटकारा भी था। गोयल विदेश नहीं भागे हैं, यहीं हैं और रेल चला रहे हैं।
उम्मीद है ICICI बैंक के मामले में जिस तरह ईडी और सीबीआई ने केस दर्ज किया है, इस मामले में वैसा ही होगा। आप जानते हैं कि प्राइवेट बैंक ने वीडियोकॉन को 3000 करोड़ से अधिक का लोन दिया और बदले में इसके मालिक ने बैंक की प्रमुख चंदा कोचर के पति के लिए एक कंपनी खोली, उसमें 60 करोड़ डाले और फिर कुछ लाख रुपये में कंपनी उनके नाम कर दी। जब इंडियन एक्सप्रेस ने यह खबर की तब जांच एजेंसियों ने अपने आप मामला दर्ज कर लिया ताकि कुछ मामलों में छवि ठीक रहे कि सरकार काम कर रही है। रेल मंत्री के बारे में इस रिपोर्ट में उसका इम्तहान अभी बाकी है। रिज़ल्ट वही होगा जो जय शाह के मामले में हुआ।
यही नहीं शिर्डी इंडस्ट्री ने एक और कंपनी के ज़रिये गोयल की पत्नी की कंपनी को लोन भी दिया। इंटरकॉन एडवाइज़र्स प्राइवेट लिमिटेड नाम है उस कंपनी का। दोस्ती के कारण लोन दिया गया। कंपनी ने अपने रिटर्न में इस कर्ज़ को दिखाया भी है। शिर्डी इंडस्ट्री ने प्रोविडेंड फंड के 4 करोड़ रुपये जमा नहीं कराए हैं। अब जब यह कंपनी NATIONAL COMPANY LAW TRIBUNAL में निपटारे के लिए गई तो बैंक ने 60 प्रतिशत ऋण माफी की बात मान ली। ऐसी मेहरबानी तो काले घने बादल भी नहीं करते। कई बार वे भी बिना बरसे चले जाते हैं। मगर यहां तो मेहरबानियों का सिलसिला बेहिसाब चल रहा है।
ज़ीरो टालरेंस की नीति में 60 परसेंट लोन माफ हो रहा है। पर कुछ मत कहिए क्योंकि अगला कोई चुनाव आने वाला होगा जो यह जीत रहे हैं। 60 परसेंट लोन माफ करने वाले सरकारी बैंक हैं। न खाता हूं न खाने दूंगा मगर उसका क्या जो पहले से खाया हुआ है, उसको पचाने दूंगा या सूद समेत निकाल लूंगा. ये आप उन्हीं से पूछिए या उनसे जो उनके लिए स्लोगन लिखते हैं। रोहिणी सिंह ने यह भी लिखा है कि NCLT ने एक और मेहरबानी की है। शिर्डी इंडस्ट्री जो खुद कर्ज़दार है, उसे दूसरी कंपनी ख़रीदने की नीलामी में हिस्सा लेने की अनुमति दे दी, सरकारी बैंकों ने कंपनी में भरोसा भी जताया।

आज गोयल की तरफ से कौन कौन से मंत्री प्रेस कांफ्रेंस करेंगे, मैं बता सकता हूं लेकिन उससे क्या लाभ। वायर की रिपोर्ट है इससे पहले कि अदालत से इस पर रोक लग जाए, इसका छोटा सा हिस्सा बता दिया। बाकी लिंक दे रहा हूं, कापी करके रख लीजिए। मीडिया इस पर चुप रहेगा, अफसोस करेगा कि काश ख़बर यही होती मगर इसमें पीयूष गोयल की जगह शशि थरूर का नाम होता, कसम से आज की रात कोहराम मच जाता। शशि थरूर को ही अपना नाम इसमें जुड़वा लेना चाहिए ताकि कम से कम खेल पर तो चर्चा हो जाए, भले ही खिलाड़ी का नाम बदल जाए। आप पहले भी मूर्ख बन रहे थे, आगे भी बनते रहेंगे।
आई टी सेल के लोग जो मुझे गाली देने आते हैं उनकी दुकान मुझे गाली देने से चलती है। जगजीत सिंह की ग़ज़ल सुन रहा हूं, मुझको यकीं है सच कहती थी, जो भी अम्मी कहती थीं, वे मेरे बचपन के दिन थे, चांद में परियां रहती थीं। ग़ज़ल सुनिए थोड़े दिनों बाद हुज़ूर स्लोगन लेकर आएंगे। उनमें चांद और परियों की भरभार होगी बस आपका बचपन बर्बाद हो चुका होगा। आओ आई टी सेल। मुझसे पूछो कि मैंने उस पर क्यों नहीं कहा, इस पर क्यों नहीं कहा, ज़रा तुम भी इस पर कह लो, जज लोया पर कारवां की रिपोर्ट पर तो कुछ नहीं कह पाए, गालियों से लड़ने लगे। झूठ का अंबार तुम्हें मुबारक। हम गालियों से एक दिन गुलाब उगाएंगे।
Next Story