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क्या आप भाजपा मुक्त भारत चाहते है? मैं तो नही चाहता!
मनीष सिंह
यकीन नही होगा, मगर अब यह खात्मे की शुरुआत है। नरेन्द्र मोदी साहब का इमरजेंसी मोमेंट शुरू हो चुका है। अब पीछे हटे तो कोर समर्थकों का सम्मान खोएंगे। बदस्तूर आगे बढ़े तो देश गृहयुद्ध की ओर बढेगा। आगे कुआं, पीछे खाई..
मोदी साहब ने इतिहास में अपना स्थान तय कर लिया है। उनके काल में,(अब जितना भी बचा हो) आर्थिक ढलान, कुव्यवस्था, दम्भ, संवेधानिक परिपाटियों की तोड़ मरोड़, गृह युद्ध सी स्थितियों से उबर पाना लगभग असम्भव है। विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार की तरह मोदी सरकार नफरत के साथ याद की जाएगी। ये सरकार बर्बादियों की नजीर के लिए इस्तेमाल होगी। आने वाली पीढियां नफरत के साथ इन्हें और इन्हें चुनने वालो को याद करेंगी।
आप ईवीएम और मशीनों की जादूगरी से आंकड़े चाहे जो निकाल लीजिए, विश्वाशमत खरीदकर सरकारें चाहे जितनी बना लीजिए, सच्चाई यह है कि देश ने आप पर विश्वाश ख़ो दिया है। किसी को यकीन नहीं कि ये सरकार अपनी नीयत और काबिलियत में, इस देश को उबारने की कोई सोच रखती है। जो समर्थन में हैं, सिर्फ़ इसलिये की उन्हें आपकी जघन्यता और मूढ़ता पर विश्वास बढ़ा है। योग्यता पर तो, वे भी चुप हैं।
तो ये आश्चर्यजनक जीतें, आपकी जड़ खोद रही हैं। बैलट से जनभावना न जाहिर हो सके तो सड़को पर होती है। और यही सबसे खतरनाक बात हो रही है। एक मेजर पोलिटिकल पार्टी, जिसका देश भर में विस्तार है, देश भर में अथाह नफरत कमा रही है। आपके बयान, आपके नेता... हंसी ठट्ठे का सामान हो गए हैं। आपकी नीतियां मूर्खता की ऊंचाइयां छू रही है। आपके ऑफिस फूंके जा रहे हैं। जमीनी कार्यकर्ता दौड़ाए जा रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के लोगो को बैठना चाहिए, सोचना चाहिए, गलती कहां हो रही है? कौन कर रहा है? किससे डरते हो, क्यो डरते हो? डरोगे तो कब तक बचोगे? जिताने वाला नेता अमर नही, जिताने वाली तकनीक... कोई तकनीक केवल एक हाथ मे कभी न रह सकी। कभी न कभी सच्चाई का सामना करना होगा... कैसे करोगे?? खाली हाथ, जीरो क्रेडिबिलिटी के साथ? फिर वही साइकिल से चना फांकते जनजागरण और सत्तर साल का बनवास??
उठो। अभी उठो... इस वक्त तुम्हारी जरूरत है। तुम्हारी सुनी जाएगी। अभी भी मौका है।अब न उठे, तो उदास आंखों के साथ घर लौटती ये ख़ौफ़ज़दा बेटियाँ अपने जीवन काल मे तुम्हे लौटने नही देंगी।
याद रखो, देश कांग्रेस मुक्त भारत नही चाहता था। देश भाजपा मुक्त भारत भी नही चाहता। इस सबसे ऊपर, ये देश मुसलमान मुक्त भारत नही चाहता।
तुम्हे यकीन नही होता, मगर भारत ये 1947 में भी नहीं चाहता था।
मनीष सिंह के अपने निजी विचार है यह लेख उनके फेसबुक से लिया गया है