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अमरीका में मुझे प्यार मिला है, संसार मिला है

Special Coverage News
29 Oct 2018 8:42 AM GMT
अमरीका में मुझे प्यार मिला है, संसार मिला है
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रवीश कुमार

हम बेहद ख़ुशनसीब पेशे में हैं। लोगों की ज़िंदगी तक चल कर जाने का मौक़ा मिलता है। कई बार ज़िंदगियाँ हम तक चल कर आ जाती हैं। कभी किसी साल किसी रात अजीत ठाकुर से बात हुई थी। कभी मिलने का वादा रहा होगा। अचानक मेसेज आया कि दिसंबर में भारत आ रहे हैं, मिलना है। मैंने जवाब लिख दिया कि हम न्यूयार्क में हैं। अजीत साहब अस्सी किमी गाड़ी चलाकर मिलने आ गए। अस्सी किलोमीटर गाड़ी चला कर अपने घर ले गए। हम इस मोहब्बत के लिए उन सबका शुक्रिया अदा करते रहे जिनकी दुआओं ने मुझे इस क़ाबिल बनाया।

एक चाह थी कि बिहार के बाशिंदे जब बाहर के मुल्क जाते हैं तो अपनी ज़िंदगी को कैसे बदलते हैं। उनकी ज़िंदगी वहाँ की किस क़दर होकर रह जाती है। अजीत ठाकुर मधुबनी के रहने वाले हैं। भोपाल में बचपन बीता और वहीं से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। तस्वीरों में सबसे पहले आप उनके घर को बाहर से देखेंगे। फिर घर के भीतर से बाहर का हाल देखेंगे। इस तरह से एक अमरीकी घर के भीतर एक बिहारी मन का संसार आपको दिखेगा।

अब यहाँ मयूराक्षी से मिल लीजिए। सिंदरी में पली बढ़ी एक लड़की जिसके पूर्वजों की डोर मधुबनी के एक गाँव से बंधी है। राँची से मैनेजमेंट की पढ़ाई के बाद अजीत से शादी हुई। वो कभी अपने बचपन के मोहल्ले में नहीं लौट सकी क्योंकि पूरा मोहल्ला नोएडा आ गया। मयूराक्षी मानव संसाधन के क्षेत्र में काम करती हैं। अजीत कई बैंकों में काम करते करते इस वक़्त जे पी मार्गन में काम करते हैं।

बारह साल अमरीका के शहरों में बिताने के बाद अजीत और मयूराक्षी ने न्यू जर्सी के इंग्लिश टाउन नाम के गाँव में एक घर ख़रीदा है। तीस साल पुराने इस घर का मालिक एक यहूदी परिवार था जिससे बिहारी परिवार ने ख़रीद लिया। इस घर के ज़रिये आप एक जीवन शैली को समझ सकते हैं। यह लेख अजीत की अमरीकी कामयाबी का महिमामंडन नहीं है बल्कि इसके ज़रिए एक पत्रकार एक माइग्रेंट के जीवन को दर्ज कर रहा है।

मकान का क्षेत्रफल 4200 वर्गफुट है। पाँच कमरे हैं। चार बाथरूम हैं। डाइनिंग हॉल है। सूरज की धूप खाने के लिए एक कमरा अलग से है। बाहर स्वीमिंग पुल है। गराज है। तीन गाड़ियाँ हैं। होंडा ओडिसा, बी एम डब्ल्यू और मर्सेडीज़। कमरे काफ़ी बड़े और साफ़ सुथरे हैं। आप तस्वीरों को क्लिक कीजिए और एक अमरीकी घर में झाँकने का सुख हासिल कीजिए।

बेसमेंट में एक थियेटर है। थियेटर जैसा। हमने यहाँ अपना शो देखा। जहाँ अजीत पूरे हफ़्ते का शो कई बार देख लेते हैं। फिर कुछ फ़िल्मी गाने देखे। ग़ुलामी ओर अगर तुम न होते का गाना मेरे लिए ईश्वर की स्तुति है। सुना और देखा।

अजीत ने बताया कि शुरू में लगता था कि अमरीका आए हैं। कुछ ख़ास कर लिया है मगर अब सब सामान्य लगता है। अजीत और मयूराक्षी दोनों अमरीकी नागरिक हैं। इसे नेचुरलाइज्ड कहते हैं। इनके दोनों बच्चे नेचुरल नागरिक हैं। एक ही छत के नीचे दो प्रकार की नागरिकता है। अजीत वोट दे सकते हैं, स्थानीय निकाय और सीनेट के चुनाव लड़ सकते हैं मगर राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ सकता। बेटा यहाँ पैदा हुआ है तो राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकता है।

अजीत की ज़्यादातर दोस्ती भारतीयों से है। अमरीकी से भी है। बिहार के लोगों से मिलना जुलना होता है। इनके इलाक़े में दो प्रकार के संगठन हैं। बाना और बजाना। बाना का मतलब होता है, बिहार एसोसिएशन आफ नार्थ अमेरिका बाना है। बजाना का मतलब है, बिहार झारखंड एसोसिएशन आफ नार्थ अमरीका । इसके लिए साल में बीस पचीस डॉलर की फ़ीस होती है। इसका काम पिकनिक करना और लिट्टी चौखा खाना है।

मयूराक्षी ने हमारे लिए शानदार खाना बनाया। काफ़ी मेहनत करनी पड़ी। हम मयूराक्षी के आदर और भोजन के प्रति आभार प्रकट करते हैं। हमारी ज़िंदगी का कारवाँ आज थोड़ा और बड़ा हुआ। किसी का प्यार मिला है, दुनियावालों देखो मुझे संसार मिला है। अजीत साहब ने इस प्यार के लिए 340 किमी से अधिक कार चलाई। मुझे अपनी कार में न्यू यार्क छोड़ने जा रहे हैं। दोनों के बच्चों को ख़ूब सारा प्यार और दुआएँ।

(वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार की फेसबुक वॉल से)

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