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1987 में ऐसे भिंड़त हुई कैग अध्यक्ष राजीव महर्षि से पत्रकार महेश झालानी की
शिव कुमार मिश्र
1 Sep 2017 9:04 AM GMT
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1987 Mahesh Zalani, a journalist from the CAG
महेश झालानी
भारत के नए बने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) राजीव महर्षि से मेरी शुरुआती मुलाकात दुश्मनों की तरह हुई, लेकिन बाद में दोनों के बीच काफी अच्छे संबंध बन गए। अपनी आक्रामक कार्यशैली के लिए विख्यात महर्षि एक के बाद एक सफलता की सीढ़ी लांघते चले गए। प्रधानमंत्री के सबसे नजदीकी अफसरों में एक राजीव महर्षि इससे पूर्व वित्त और गृह सचिव पद पर आसीन होने के बाद रिटायरमेंट के तत्काल पश्चात नियंत्रक और महालेखा परीक्षक बन गए। इससे पहले वे राजस्थान के कुछ दिनों तक मुख्य सचिव भी रहे। लेकिन प्रधानमंत्री ने उन्हें तत्काल दिल्ली तलब कर लिया।
यह बात है 1987 की। महर्षि उस समय वित्त विभाग के उप सचिव और हाल ही में रिटायर हुए मनोज भट्ट के पिता गोपेश भट्ट विशिष्ट सचिव थे। वित्त विभाग में उस समय सचिव का पद नही हुआ करता था। लाटरी संचालन और नियंत्रण की जिम्मेदारी राजीव महर्षि के पास थी। उनकी निगरानी में राज्य सरकार द्वारा अल्लादीन लॉटरी लांच की गई। लेकिन लॉटरी लांच होने से पहले ही मेरी वजह से इस लॉटरी की भ्रूण हत्या होगई। लॉटरी को लांच करने के लिए एक भव्य समारोह आयोजित किया गया था।
गोपेश भट्ट, राजीव महर्षि के अलावा मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी और विशिष्ट अतिथि लॉटरी मंत्री शीशराम ओला थे। समारोह प्रारम्भ होता उससे पहले मैंने सभी पत्रकारो को एक बंद लिफाफा थमा दिया। स्टेज से जब लॉटरी की राजीव महर्षि खासियत बताते हुए दावा कर रहे थे कि दुनिया मे इससे बेहतर और सुरक्षित कोई लॉटरी नही है। उन्होंने दावा किया कि कोई भी व्यक्ति या मशीन किसी भी हालत में इसमें नुक्स नही निकाल सकती है।
इसी बीच मैंने खड़े होकर मैंने भट्ट और राजीव महर्षि को चुनोती दी कि मैं खुलने वाले नम्बर पहले से बता सकता हूँ। महर्षि ने मेरी चुनोती स्वीकार करली। नम्बर खुले। यह क्या! नम्बर वही था जो मैंने सभी अधिकारियों और पत्रकारो को पहले से लिफाफे के अंदर लिखकर दिए थे। होना क्या था, जहाँ थोड़ी देर पहले जश्न का माहौल था, अब वहां मातम छाया हुआ था। लॉटरी एजेंटों ने पंडाल उखाड़ कर आगजनी शुरू करदी। आनन-फानन में पुलिस तैनात करदी गई। लेकिन तब तक सब स्वाहा हो गया। मुख्यमंत्री और लॉटरी मंत्री को आना था, लेकिन जब उन्हें इस हादसे का पता लगा तो उन्होंने तुरंत ही एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया।
भले ही उस समय महर्षि और भट्ट ने मुझे देख लेने की धमकी दी हो। लेकिन समय के साथ सब सामान्य होता चला गया। हाल ही में जब महर्षि राजस्थान के मुख्य सचिव थे, तब मैं उनसे मिलने गया। बड़ी गर्म जोशी से मेरा स्वागत किया। मैंने जब उन्हें अपने आने का मंतव्य बताया तो उन्होंने एक पल देरी किये बिना मेरा कार्य कर अपनी सदाशयता का परिचय दिया।
शिव कुमार मिश्र
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