हमसे जुड़ें

चुरकटई वाले कानून बनाने में भारतीय सरकारों का जवाब नही, लो कर लो दुनिया मुठ्ठी में!

Special Coverage News
3 Nov 2019 8:13 AM GMT
चुरकटई वाले कानून बनाने में भारतीय सरकारों का जवाब नही, लो कर लो दुनिया मुठ्ठी में!
x

मनीष सिंह

एक समय था, जब हमारे देश मे पेटेंट "प्रोडक्ट पेटेंट" नहीं, "प्रक्रिया पेटेंट" होता था। याने आपको कोई चूरन बनाना है, जो चार चीजो को कूट कर बनता है, और उसका पेटेंट पहले से है। उसे आप चारो चीजें पीसकर बना लीजिए, और बिंदास पेटेंट करा लीजिये। कोई कानूनी रोक नही।

ऐसी बेवकूफी भरी पॉलिसीज ने भारत को असली पेटेंट के साथ नकली माल बनाने का हब बना दिया। किसी साइंटिस्ट को नई खोज करने का कोई फायदा न था, उंसके अविष्कार में हेर फेर करके उद्योगपति माल कूट सकते थे। नतीजा, आप शून्य के आविष्कार के लिए आर्यभट के गीत गाते हैं, और आजाद भारत मे नए अविष्कारों की संख्या शून्य रही है। गैट समझौते के बाद इस पर रोक लगी, और हमें अंतराष्ट्रीय क़ानूनो के मुताबिक बदलना पड़ा, मगर तब भयंकर शोर मचा था।

चुने हुए उद्योगों को चांदी कटवाने के लिए चुरकटई गुण का एक जबर नमूना है। जीएसएम तकनीक से सेलफोन सेवा शुरू हुई। सरकार ने लाइसेंस बांट दिए। सबको एरिया बांट दिया, इधर तुम करो- उधर वो करेगा। लोगो ने कर्जा भर्जा लेकर लाइसेंस लिए, सेटअप बिठाया, धंधा शुरू किया, चल निकला।

इत्ते में आये धीरूभाई अंबानी, करने दुनिया मुट्ठी में। वो WLL टेक्निक लाये। आपको तरंग वाले फोन याद होंगे-वोइच। भिया को सरकार ने इस टेक्निक पर सारी जगह लाइसेंस दे दिया। अब पब्लिक को क्या लेना देना टेक्निक से, कॉलिंग होनी चाहिए बस।

WLL सस्ती थी, तो लोगो ने जीएसएम की बजाय इसको लेना शुरू कर दिया। वहाँ के जीएसएम कम्पनी रोती रह गयी, आखिर जिस क्षेत्र का एक्सक्लूजिव बिजनेस का लाइसेंस फीस हमने भरी, अब मेरी दुकान के भीतर दूसरे की दुकान क्यो खुलवा रहे?? सरकार को सुनना न था। कोर्ट में गए, हार गए। कानून अम्बानी के पक्ष में था। सो सब धीरे धीरे अपना धंधा अम्बानी को बेचकर भाग गए। दुनिया मुट्ठी में आ गयी।

टाइम बदला, अम्बानी के धंधे का भाई बंटवारा हुआ। मोबाइल धंधा छोटे को मिला, जो बड़कू का ड्रीम प्रोजेक्ट था। सो बड़कू ने बखत बदलने का इंतजार किया। बखत आया, तो जियो लांच हुआ। साहब ने कानून बदलवा कर देश भर का लाइसेंस ले लिया। पांच साल घाटे पर चलाने की कसम खाकर आये थे। फोकट में सिम और सेवा बाटने लगे।

दूसरे जो लोन लेकर धंधा कर रहे थे, किश्त पटा रहे थे.. बिजनेस खोने लगे। सबसे पहले छोटकू की कम्पनी चौपट हुई। उंसके बाद एक एक करके बाकी बर्बाद होने लगे। मोबाइल सेक्टर के लाखों करोड़ लोन NPA हो गए। लेकिन उ तो साला कांग्रेसीयो ने बांटा था। इसलिए उनको गाली पड़ती रही। अम्बानी खुद जियो और दुसरो को मरने दो की पॉलिसी में सफल रहे।

कहानी इसलिए सुना रहा हूँ, अभी स्टेट बैंक की दुकान के भीतर अम्बानी की दुकान खोल दी गयी है। जीएसएम और WLL का किस्सा दोहराने का पूर्ण प्रबंध सेट हो चुका है।

मंदी, इन्वेस्टमेंट का अभाव, जॉब्स न होना... रोते रहिये।वोडाफोन भाग गया। दूसरे समेट रहे। इस दौर में कोई अक्लमंद बिजनेसमैन न इन्वेस्ट करेगा, न धंधा बढ़ाएगा। इंडियन या फॉरेनर.... बस इस दौर के गुजरने का इंतजार करेगा।

लेकिन हिन्दू मुसलमान और पाकिस्तान अभी ये दौर पचास साल बनाये रखने के लिए निश्चिन्त हैं। आप, और आपकी अगली पीढ़ी मुफलिसी के लिये कमर कस लीजिये। सन्तरा कमीज खरीदिये, राम नाम जपिये। मन्दिर वहींच नही, और भी खूब सारे बनवाइये, आपको और आपके बेटों को भीख मांगने के लिए बहुतेरे अड्डो की जरूरत है।

Tags
Special Coverage News

Special Coverage News

    Next Story