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- "जय भीम और लाल सलाम"...
"जय भीम और लाल सलाम" एक क़िस्म का फर्जीवाड़ा है !
जयंत जिज्ञासु
जय भीम (दलित) का इस्तेमाल लाल सलाम (जो बहुधा सवर्ण सलाम है) वाले करते आए हैं,कांग्रेस से लेकर भाजपा तक को यह कंबिनेशन बेहद प्रिय है, मगर जय लोहिया, जय मंडल को ये धूर्तई से गायब कर देते हैं,
मतलब, पिछड़े (ओबीसी) इनकी डिक्शनरी में हैं ही नहीं या यूं कहें कि उनसे ये 'सवर्ण' सबसे ज्यादा खार खाते हैं, चाहे वो कितने भी प्रोग्रेसिव क्यूं न हों, अकेडेमिया से लेकर ब्यूरोक्रेसी तक, मीडिया से ले कर जुडीशियरी तक में इस पर बहुत मेहनत की है 'अगड़ों' ने,
इसीलिए महिला आरक्षण बिल पर भाजपा, कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टीज़, सब एक हैं, क्योंकि सबका नेतृत्व अगड़े लीडरों के हाथ में है, पिछड़ी महिलाओं को कोटे के अंदर कोटे के तहत शामिल करने के ये सब खिलाफ़ हैं,
बोलते हैं कि संविधान में संशोधन करना पड़ेगा, तो भाई संशोधन नहीं हुआ है क्या आज तक ? जैसे पुरुषों में जातियां हैं, ह्युमिलिएशन है, वैसे ही महिलाओं में भी हैं, महिला कोई होमोजिनस कैटेगरी तो है नहीं, किसको उल्लू बनाते रहते हो यार,
रानी बनाम मेहतरानी का डिबेट लोहिया ने न सिर्फ़ खड़ा किया, बल्कि उसे जमीन पर उतारा भी, ग्वालियर लोक सभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी राजमाता विजयाराजे सिंधिया के खिलाफ़ सुक्खो रानी को खड़ा किया जाना एक बड़ी लड़ाई का आगाज़ था, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) की उम्मीदवार सुक्खो रानी को उस दौर में भी 50 हज़ार वोट मिले,फूलन देवी से लेकर भगवती देवी तक पूरी एक श्रृंखला है,
रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि उनकी सरकार न्यायपालिका में अनुसूचित जातियों-जनजातियों को आरक्षण देना चाहती है, जुडिशरी में रिज़रर्वेशन की मांग हमारे राष्ट्रीय जनता दल की शुरू से रही है और उसमें दलितों-आदिवासियों के साथ पिछड़े-पसमांदा भी आएंगे, ढेर क़ाबिल न बनो मनुवादियो..