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पंजाब नेशनल बैंक का इतिहास जान लीजिये, खून खौल उठेगा

पंजाब नेशनल बैंक का इतिहास जान लीजिये, खून खौल उठेगा
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यह पूरी बात सुनकर हर सच्चे भारतीय का खून खौल उठेगा!
ब्रिटिश साम्राज्य के इम्पीरियल बैंक(स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ) और ईस्ट इंडिया कंपनी के इलाहबाद बैंक को स्वदेशी चुनौती देने के लिए 1890 में लाला लाजपत राय ने कई हिंदुस्तानी सेठों से विमर्श किया. लाला का तर्क था कि बिना किसी स्वदेशी बैंक के भारत में स्वदेशी आंदोलन निरर्थक है. !
प्रतिष्ठित समाचार पत्र ट्रिब्यून के संस्थापक सरदार दयाल सिंह मजीठिया को लाला लाजपत राय की बात जंच गयी. मजीठिया साहब ने फिर जाने माने सेठ, लाला हरिकिशन से बात आगे बढ़ाई। सौ प्रतिशत स्वदेशी पूँजी से देश का पहला बैंक स्थापित करने का विचार कई और स्वंत्रता संग्राम सेनानियों को पसंद आया. फिर क्या, शेरे पंजाब लाला लाजपत राय और मजीठिया साहब ने लोगों से चंदा लेना शुरू किया. एक बड़ी रकम सेठ हरिकिशन जी और कई व्यापरियों ने दी. १८९४ में अविभाजित भारत के लाहौर शहर में पंजाब नेशनल बैंक , यानि देश के पहले स्वदेशी बैंक की स्थापना हुई. महात्मा गाँधी सहित सैकड़ों क्रांतिकारियों ने इस स्वदेशी बैंक में खाते खोले. अमृतसर की जलियांवाला बाग की समिति का खाता भी पंजाब नेशनल बैंक में ही दर्ज़ हुआ। बैंक जब पूरी तरह से कई शहरों में स्थापित हो गया तो लाला लाजपत राय ने स्वयं खुलासा किया कि स्वदेशी बैंक का असली आईडिया आर्य समाजी नेता राय मूल राज का था जो चाहते थे कि हिंदुस्तान की जनता अपने पैसों से अपना बैंक चलाएं. लाला लाजपत राय और कई क्रांतिकारियों के पंजाब नेशनल बैंक के बोर्ड में जुड़ने से ये बैंक ब्रिटिश साम्राज्य के निशाने पर आ गया। लेकिन नेक नियति और स्वदेशी आंदोलन का केंद्र बने इस बैंक की साख दिनों दिन बढ़ती चली गयी और ये बैंक अंग्रेजी बैंकों को भी पछाड़ता हुआ स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक बन गया.
... और आज क्रांतिकारियों के खून पसीने से बने इस बैंक का स्वतंत्र और जनतंत्र भारत में हाल ये है कि सत्ता से हाथ मिलाकर, सत्ता के दलाल इस बैंक की एक तिहाई पूँजी लूटने में सफल हुए. सफल ही नहीं साठगाँठ करके विदेश भाग निकले।
सच तो ये कि पंजाब नेशनल बैंक की ये लूट आज हमारे देश के वर्तमान चारित्रिक पतन की शमर्नाक गवाह बन गयी है.
लाला हमे माफ़ कीजिये. हम आपकी पूँजी, आपकी विरासत नहीं संभाल सके.
लाला ...आप सड़कों पर अंग्रेज़ों की लाठी खाकर शहीद हुए
लाला आपकी शहादत पर भगत सिंह ने रो रो कर वचन लिया था कि वो इस शहादत का बदला लेंगे। भगत सिंह ने वैसा किया और वो भी फांसी पर झूल गए. लेकिन आज आपकी विरासत के लुटेरों से बदला लेना वाले भगत सिंह इस देश में नहीं रहे।
लाला आज हमारे रगों में न वो ज़ज्बा है न खून...
हमारी रगों में मक्कारी और झूठ का पानी बहता है
लाला ... हमे माफ़ कर दीजिये हम आपके बनाये मुस्तकबिल के लायक नहीं। हम छोटे लोग है, छोटे दिल के हैं और छोटी सोच के हैं. शायद इसलिए आज हमने आपके हाथों से लगाए उस पेड़ की जड़ें ही खोद दी। लाला, हमने आपके खून, आपकी क़ुरबानी को पानी कर दिया है।लाला, हम सच में कमज़ोर है ।
हमें माफ़ कर दीजिए।
साभार - Deepak Sharma जी
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