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लालू की रैली ,लाठी से हाईटेक तक का सफर

लालू की रैली ,लाठी से हाईटेक तक का सफर
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Lalu's rally, journey from lathi to hightech

रैली के सफल आयोजन के लिये समूचे देश में चर्चित रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की देश बचाओ भाजपा भगाओ रैली आज संपन्न हो गयी . अपने निराले अंदाज में हमेशा मीडिया की सुर्खियों में रहे लालू प्रसाद यादव के रैली का अंदाज भी निराला होता रहा है. रैली के माध्यम से समय - समय पर अपनी राजनीतिक हैसियत दिखलाने वाले लालू ने इस रैली की घोषणा राजगीर के प्रशिक्षण शिविर में करीब तीन महीने पहले की थी जब सूबे में महागठबंधन की सरकार थी और लालू उस गठबंधन के सबसे बड़े दल के मुखिया.घोषणा के वक्त लालू को शायद इस बात का भान नही रहा होगा कि रैली के पहले ही उनकी सरकार से विदाई हो जायेगी .


लेकिन लालू तो लालू ठहरे . सत्ता खोने के बाद लालू ने इसे जनादेश अपमान यात्रा का नाम देकर तेजस्वी के हाथों में रैली तैयारी की कमान सौंप दी. लालू के इस जबावदेही का तेजस्वी ने बखूबी निर्वाह भी किया . कभी लाठी में तेल पिलावन के कारण विरोधियो के निशाने पर रहे लालू की यह रैली पूरी तरह से हाईटैक रही. गांधी मैदान में जो मच बनाये गये थे वह शायद किसी रैली के लिये बनाया गया पहला मंच था. इतना ही नही पूरे गांधी मैदान में 30 बड़े एल ई डी स्क्रीन लगे थे जिससे रैली में आने वाले लोग मंच का दृश्य देख सकें. इतना ही नही जनादेश अपमान यात्रा की सफलता के अलावे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ राजनीतिक विरोधियों द्वारा पूर्व में दिये गये बयानों का संकलन था तो बिहार में बहार हो की तर्ज पर पैरोडी भी बनायी गयी थी. पूरे गांधी मैदान को दूधिया रोशनी से नहा दिया गया था. .


रैली की पल - पल की खबर देने के लिये मीडिया की अलग टीम थी जो विजूअल लाइव और और ट्वीटर पर कवरेज की पल -पल खबर दे रही थी यानि सब कुछ पूरी तरह से हाईटेक . फिर मंच पर नेताओं के बैठने का इंतजाम इस तरह था कि किसी तरह की अफरातफरी ना हो. हालांकि मंच पर पहुंचे कुछ बड़े नेताओं को पहली पंक्ति मे जगह नही मिल पायी और पूरा मंच लालू के परिवार पर केन्द्रित था. लालू , राबड़ी , तेजस्वी , तेजप्रताप ने तो भाषण भी दिया लेकिन मीसा भारती भी मंच पर मौजूद रही. युवा नेताओं में तेजस्वी यादव , जयंत सिंह ,अखिलेश यादव का भाषण पूरी तरह से राजनीतिक रहा और लगा कि आने वाले समय में इन लोगों में निखार आयेगा.लेकिन अपने ठेठ लालू अंदाज में भाषण देकर और शंख फूंककर तेजप्रताप यादव ने भी महफिल लूट लिया.



राष्ट्रीय नेताओ में गुलाम नबी आजाद , ममता बनर्जी का भाषण ओजपूर्ण रहा तो सुधाकर राव , शरद यादव आज नही जमपाये. लालू राबड़ी के भाषण के मुख्य केन्द्र बेिंदू नीतीश कुमार रहे तो ममता और गुलाम नबी ने भाजपा पर भी हमला बोला.सबसे ज्यादा फजीहत तारिक अनवर , अली अनवर जैसे अल्पसंख्यक नेताओं की हुई जिन्हें पीछे की सीट नसीब हुई, अपने लच्छेदार भाषणो के लिये जाने जानेवाले अली अनवर को तो बोलने का भी अवसर भी नही मिला.


कांग्रेस महासचिव सी पी जोशी , सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव डी राजा . के अलावे कई एेसे नेता थे जो बोलने से महरूम रहे. रैली की संख्या बल पर भले ही रैली समर्थक और विरोधियों के दावे अलग हो सकते हैं लेकिन इस विपरीत परिस्थिति में जब लालू सत्ता से बेदखल हो और सूबे के 18 जिलों में बाढ आये तब रैली सफल हो जाये यह सिर्फ और सिर्फ लालू ही करा सकते हैं. फिलहाल इस रैली से देश कितना बचेगा और भाजपा कैसे भागेगी यह तो समय बतायेगा. लेकिन इस रैली ने इतना संदेश जरूर दिया है कि भ्रष्टाचार के कारण राजनीतिक विरोधियो और न्यायालय का सामना कर रहे लालू का जनाधार अब भी है और लाठी में तेल पिलाने वाले उनके समर्थक और राजद नेतृत्व अब बदलते जमाने के साथ हाईटैक भी होते जा रहा है.

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