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अब राजा की जगह प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ले ली है, और घोड़े की जगह अधिकारी है, और यज्ञ की मूल विषयवस्तु युध्द की जगह व्यापार-उद्योग है.
कहते है, पुराने जमाने में राजा चक्रवर्ती सम्राट बनने के लिए अश्वमेध यज्ञ किया करते थे, वह एक यज्ञ का आयोजन करते थे और चहु दिशा मे घोड़ो को यज्ञस्थल से खुला छोड़ देते थे और जो राजा उन घोड़ो को रोकने की गुस्ताखी करता, उसे चक्रवर्ती सम्राट बनने की आकांक्षा रखने वाले राजा से युध्द लड़ना पड़ता था.....
ये तो पुराने जमाने के किस्से कहानियां है लेकिन नए जमाने का अश्वमेध यज्ञ "ग्लोबल इन्वेस्टर समिट" है.
अब राजा की जगह प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ले ली है, और घोड़े की जगह अधिकारी है, और यज्ञ की मूल विषयवस्तु युध्द की जगह व्यापार-उद्योग है.
चक्रवर्ती बनने के आकांक्षी राजा रूपी मुख्यमंत्री अपने घोड़े रूपी अधिकारियों को देश विदेश मे भेज देते है क़ि, जाओ जो भी बड़े से बड़े उधोगपति हो , उन को ढूंढ ढूंढ कर अपने यज्ञ मे लेकर आओ, .उनके लिए हमने "सेज" सजाई है, 24 घण्टे बिजली दी जायेगी, कोड़ियों के मोल बेशकीमती जमीने दी जायेगी,एकल खिड़की प्रणाली से सभी आवश्यक क्लियरिंग कर दी जायेगी.
अधिकारी बेचारे यह सब बातें उधोगपतियों को बता देते है, पर आजकल उधोगपति उनके झांसे मे नहीं आते वे जानते है कि यह भी खाते मे 15 लाख जैसे चुनावी वादे
है जो कभी खाते मे नहीं आने वाले ,इसलिए वह भी आने से मना कर देते है.
अब बेचारे घोड़े यानी अधिकारी, राजा रूपी मुख्यमंत्री को क्या जवाब दे ,इसी मे चिंतामग्न हो जाते है, वे जानते है कि बिना विजय प्राप्त किये लौटे तो, राजा यज्ञ से पहले ही घोड़ो की बलि ले लेगा.
तो घोड़े रूपी अधिकारी एक ऐसा रास्ता निकाल लेते है जिससे साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे, वह उद्योगपतियों को कहते है कि भले ही हमारे प्रदेश मे उद्योग मत लगाना पर राजा का सम्मान रखने के लिए एक करार कर लो जिसे MOU कहा जाता है, उन्हें ललचाया जाता है कि भई एक बार आकर इस MOU पर साइन कर लो, सस्ते मे जमीने कबाड़ लो बाकी उद्योग लगाना या मत लगाना तुम्हारी मर्जी.
अधिकारियो की इस सर्जिकल स्ट्राइक मे उद्योगपति फंस जाते है और अधिकारी रूपी घोड़ो को ऐसा होने पर घास खिलाने का आश्वासन गुप्त रूप से दे देते है और ख़ुशी ख़ुशी आने की स्वीकृति दे देते है
तो मित्रो लब्बो लुआब यह है कि तहज़ीब के शहर लखनऊ मे आज से मॉडर्न अश्वमेध यज्ञ एक बार फिर से हो रहा है, और याद रहे पिछले अश्वमेध यज्ञ मे साइन किये गए MOU के बारे मे मत पूछियेगा बेअदबी हो जायेगी,उसकी घास पहले ही घोड़े खा चुके है.
लेखक गिरीश मालवीय के अपने विचार है
शिव कुमार मिश्र
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