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मोदी इतिहास के ये झूंठे और ग़लत तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं!

मोदी इतिहास के ये झूंठे और ग़लत तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं!
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श्रीमान मोदी जी, श्यामाप्रसाद मुखर्जी बंगाल-विभाजन के समर्थक थे. वह अंग्रेजों के पिठ्ठू थे .
'मन की बात' में मोदी जी फरमाते हैं कि श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने बंगाल - विभाजन का विरोध किया था।

मग़र इतिहास साक्षी है कि मोदी जी ग़लत तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं ।
सच्चाई यह है कि 20 जून, 1947 को विभाजन के मुद्दे पर आहूत बंगाल असेम्बली के सत्र के रिकार्ड्स स्पष्ट तौर पर बताते हैं " हिन्दू महासभा बंगाल - विभाजन का समर्थन करती है . . . . "
श्यामाप्रसाद मुखर्जी के ब्रिटिश- समर्थक होने के अन्य सबूत:
1. कलकत्ता यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर पद पर रहते हुए श्री मुखर्जी ने उन तीन छात्रों को निष्कासित किया था जिन्होंने यूनियन जैक (ब्रिटेन का राष्ट्रीय ध्वज) को सलामी देने से मना कर दिया था
2- 1937 से फज़ूल हक़ सरकार में मंत्री रहते हुए काश्तकार- समर्थक कानून का विरोध किया था
3- 26 जुलाई और 8 अगस्त, 1942 को तत्कालीन गवर्नर जॉन हर्बर्ट को कई बार चिठ्ठियां लिखकर 'भारत छोड़ो आंदोलन' को कुचलने का अनुरोध किया था
4 - लगातार एक ' ब्रिटिश एजेंट' के तौर पर काम करते रहे ( 5 दिसबर,1941 और 5 मई ,1942 को हर्बर्ट द्वारा लार्ड लिनलिथगो को लिखे गए पत्रों के हवाले से )...
अमरेश मिश्र
संयोजक, 1857 राष्ट्रवादी मंच
अध्यक्ष, मंगल पांडे सेना
9910924012

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