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अश्लील सीडी काण्ड: डर है कि सेहरा 'कफन' न बन जाए

अश्लील सीडी काण्ड:  डर है कि सेहरा कफन न बन जाए
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'धान का कटोरा' छत्तीसगढ की राजनीति स्टिंग—सीडी के चक्कर में एक बार फिर छटपटा रही है. तथाकथित रूप से एक अश्लील सीडी सामने आई है जिसमें राजेश मूणत एक महिला के साथ आ​पत्तिजनक स्थिति में हैं. कांग्रेस और मुख्य आरोपी पत्रकार विनोद वर्मा का दावा है कि सीडी ओरिजिनल है और लोक निर्माण मंत्री मूणत की है. एक पुत्र—पति—पिता और नेता के लिए यह जीवन की सबसे बडी परीक्षा रही होगी. अपने हों या पराए, सबकी नजरों में संदिग्धता का पैबंद तो लग ही चुका था जिसे सिर्फ एक ही शख्स काट सकता था और वह थे खुद मूणत जी इसलिए मात्र 24 घण्टे के अंदर, जैसा कि दावा किया जा रहा है, असली सीडी खोजकर उन्होंने षडयंत्री चेहरों को उधेडकर रख दिया.

फिर भी इतने मात्र से हम उन्हें क्लीन—चिट नही दे सकते. सीबीआई की जांच रिपोर्ट आने या अगले विधानसभा चुनाव में जनता के फैसले तक संदिग्धता के बादल तो छाए ही रहेंगे. होना तो यह चाहिए कि मूणतजी इस्तीफा दे देते, ठीक आडवाणीजी की तरह. जिन्होंने हवाला काण्ड में मात्र आरोप लगने पर संसद से इस्तीफा दे दिया था और चुनाव जीतकर फिर से संसद पहुंचे थे. पर अब ऐसी नैतिकता कहां बची है और कौन मानता है भला...!
गोयाकि भारतीय समाज में भ्रष्टाचार एक बार क्षम्य है लेकिन चरित्र से गिरा व्यक्ति स्वीकार्य नही होता. भारतीय इतिहास और संस्कृति ऐसे उदाहरणों से भरे पडे हैं. तीन साल पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का मामला सामने आया था. आॅफिस में एक महिला के साथ रति—​क्रिया करने की अश्लील सीडी का खुलासा हुआ तो वे छटपटाते हुए सीधे सु्प्रीम कोर्ट पहुंचे थे और इसे निजी मामला बताते हुए सीडी के प्रसारण पर रोक लगवा ली थी.

ताजा अश्लील सीडी के फायदे—नुकसान पर चर्चा जोरों पर हैं. एक तर्क यह है कि यह मूणतजी और सरकार के लिए सरदर्द साबित होगी जबकि कईयों का मानना है कि सीडी के चक्कर में कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में आने से चूक सकती है. देश में अब तक सैकडों स्टिंग—आॅपरेशन हुए होंगे मगर मूणत के मामले में जमीन—आसमान का अन्तर यह है कि इसके षडयंत्रकारी बेनकाब हो गए हैं. राघवजी, संजय जोशी, मदेरणा जैसी सीडियों में मालूम ही नही था कि षडयंत्रकारी कौन है! फिर उसके नकली होने पर भी कोई संदेह नही बचा था इसलिए सबके सब खेत हो गए थे.

वैसे सीडियों के आने से राजनीतिक दलों को कोई नुकसान नही पहुंचता. चरित्र चूंकि व्यक्तिगत मामला है इसलिए जनता भी इसे उसी न​जरिए से देखती है. आखिर कैसे..! नकली हो या असली, छत्तीसगढ में सीडी के दांव का खेल उलटा ही पडता रहा है. याद कीजिए 2003 के विधानसभा चुनाव को. भाजपा—कांग्रेस में खंदक की लडाई जारी थी. अचानक दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव की 'पैसा खुदा तो नही' वाली सीडी आ गई थी. कांग्रेस की बांछें खिल गई थी और भाजपा को लगा कि सरकार बनने का सपना चकनाचूर हो जाएगा मगर जनता ने पहले से तय किए अपने फैसले को नही बदला. सीडी के षडयत्र को सिरे से खारिज करते हुए जनता ने भाजपा को छप्परफाड बहुमत दिया था और कांग्रेस को 14 सालों का राजनीतिक वनवास, जो वह अभी भी भोग रही है.

यह जरूर कि जूदेव साहब का मुख्यमंत्री बनने का सपना इस सीडी ने लील लिया था जिसका दर्द उन्हें अंतिम समय तक सालता रहा. इसी तरह सीडी के तथाकथित आरोपी अमित जोगी की छबि भी धूमिल हुई थी हालांकि 45 हजार से ज्यादा वोटों से विधायक चुनने के बाद उन्होंने अपने उपर लगे इस कलंक को धो डाला है.

अश्लील सीडी के खेल को कांग्रेस और भाजपा के कई नेता 'शिखण्डी—कर्म' करार दे रहे हैं. दबे—छुपे वे यह भी चाह रहे थे कि काश सीडी ओरिजिनल होती तो मूणत निबट गए होते. अश्लील सीडी के खेल ने दिलों में निर्मित हो चुकी खाईयों को और भी चौडा कर दिया है. उदाहरण के तौर पर मूणतजी का वह संबोधन देखिए जिसमें उन्होंने कुछ भाजपा नेताओं को आगाह किया है कि वे रात में कांग्रेसियों से मिलना बंद कर दें. या फिर कांग्रेस में महंत और सिंहदेव का बयान सुनिए कि पार्टी को चरित्रहीनता के खेल से दूर रहना चाहिए. दरअसल कांग्रेस और भाजपा के कई नेता 'शिखण्डी—कर्म' करार दे रहे हैं. दबे—छुपे कई यह भी चाह रहे थे कि काश सीडी ओरिजिनल होती तो मूणत निबट गए होते लेकिन यहां तो शिकारी अपने ही जाल में फंसता नजर आ रहा है.

लेखक ने इस पूरे मामले में एक 'बूमरेंग' दृष्टिकोण तलाशा है. अश्लील सीडी के खेल में जीत भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल जी की होगी और हार भी उन्ही के हिस्से पडेगी. हालिया कुछ महीनों में सरकार के खिलाफ 'वायब्रंट' हो चुकी प्रदेश कांग्रेस को नए अध्यक्ष की तलाश है. कयास लग रहे थे कि वर्तमान अध्यक्ष भूपेश बघेलजी को दूसरा कार्यकाल मिल सकता है क्योंकि उन्होंने पार्टी में जान फूंकने का कार्य किया है. हालांकि नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव जी सहित कई कांग्रेसियों को लगता है कि अश्लील सीडी काण्ड में पार्टी जनता की नजरों में वैसे ही विलेन हो गई है जैसे कि जूदेव सीडी काण्ड में हुआ था अत: डैमेज—कंट्रोल करने के लिए बघेल को किनारे कर किसी नये चेहरे को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है. अब यह समय की गर्त में है कि सेहरा, सेहरा बनता है या कफन.
अनिल द्विवेदी लेखक पत्रकार और टिप्पणीकार हैं
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