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मोदी युग के घोटाले पहले के घोटालो से भिन्न हैं! जानिए कैसे?

मोदी युग के घोटाले पहले के घोटालो से भिन्न हैं! जानिए कैसे?
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अमरेश मिश्र की कलम से

बात सिर्फ पीएनबी की नही है। क्रोनी कार्पोरेट्स (corporate) और क्रोनी संड्रीज(sundries) द्वारा सरकारी बैंको से 2014 के बाद लिये गये सभी कर्जो को की गहन जांच की जरूरत है।

2014 मे मोदी को वैश्विक वित्तीय संस्थाओ ने सत्ता दिलाई ताकि मोदी उनके वो सब दे सके जो कांग्रेस नही दे सकती: भारतीय संसाधनो और धन की खुली और निर्मम लूट की छूट।
कितना सारा भारतीय धन 2014 के बाद विदेश गया, उसपर एक नजर डालकर देखिये। ये पूरे सदी मे देश मे अब तक का सबसे बडा घोटाला है--कैपिटल ड्रेन स्कैम! वैश्विक वित्तीय पूंजीवादी ताकतें, छोटे भारतीय उद्योगपतियो, व्यापारियो, दुकानदारो, कामगारो और किसानो को दरिद्र बना देना चाहती हैं। पर क्यो?
ताकि ये तबको, जो भारतीय आर्थिक राष्ट्रवाद रीढ़ हैं, अपनी आर्थिक स्वायत्तता और आजादी खो दें। और या तो सस्ते श्रमिक बनकर रह जाँय, या उससे भी बदतर, विदेशी पूंजी के छोटे दलाल बन जाँय।
1990 के शुरुआती दौर मे, आर्थिक उदारीकरण इन शर्तों पर लागू हुआ था, की भारत मे विशाल बाज़ार है; विदेशी पूंजी निवेश से रोज़गार पैदा होगा, उत्पादिक्ता में वृद्धि होगी, देश के अंदर विकास होगा।
पर आज, पूरी उदारीकरण प्रक्रिया, सर के बल, उल्टी खड़ी हो गयी है। भारतीय बाजार मर रहा है। भारत की क्रय शक्ति खत्म हो रही है। किसानी-खेती दम तोड़ रही है। उद्योग नष्ट हो रहे हैं, निर्यात कम हो रहा है--उत्पदिक्ता घट रही है। हर छेत्र में, ऐसे सेकटर्स जिसमे भारत आत्म-निर्भर है, विदेशी पूंजी को घुसाया जा रहा है। किसानी से लेकर जल-जंगल-पहाड़-धातु सब पर, जल्द ही विदेशी पूंजी का कब्ज़ा होगा।
इस तरह, स्पष्ट है कि असली खेल भारत को फिर से गुलाम बनाना है। आज के इस आत्मनिर्भर देश को, 1947 के पूर्व की गुलाम अवस्था--जब हमारा मैंयुफैक्चरिग आधार लगभग शून्य था, किसान उत्पादकता बेहद कम थी, और हम अपनी मूलभूत इंफ्रास्ट्रक्चर, कंज्यूमर गुड्स, और यहाँ तक कि खाद्यान्न तक के लिये आयात पर निर्भर थे--मे वापस पहुंचाने की साज़िश चल रही है।
इसलिये मोदी युग के घोटाले पूर्व के घोटालो से भिन्न हैं। पूर्व के घोटाले कितने भी निंदनीय हो, पर उन्होने हमारे देश की आर्थिक स्वायत्ता को खतरे में नही डाला। पर मोदी युग के घोटाले हमारी आर्थिक राष्ट्रीयता पर जानलेवा हमला हैं। और आर्थिक स्वायत्तता के बिना जाहिर है कि राजनीतिक स्वायत्ता भी नही बचेगी।
अमेरिका-इज़रायल गठजोड़ इस बात को समझ रहा है और इसीलिये आरएसएस के साम्प्रदायिक सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को प्रोत्साहन दे रहा है। देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब पर हमले हो रहे हैं, ताकि भारत की आर्थिक और राजनीतिक आजादी को कमज़ोर किया जा सके। फेसबुक सिर्फ हल्के फुल्के कमेंट और छोटी मोटी पोस्ट्स के लिये नही है...
अगर आप इसे नही समझते...
यदि आप मोदी+मोदी+मोदी+माल्या+राफेल+लोया+तडीपार+जय्शाह+लिनिचिंग+बजरंगदल द्वारा खुलेआम कैमरे पर लडकियो के साथ छेड़खानी+किरानो की दुर्दशा+मुस्लिमो के नागरिक अधिकार पर हमला+सनातन धर्म को विकृत करना, ब्राम्हणो की हत्या करते हुये उनका महिमामण्डन करना+ओबीसी को ओबीसी से आपस मे लड़ाना+ कासगंज+अंकित सक्सेना+अम्बानी+अदानी+केंद्रीय नौकरी मे भरती और वेतन को फ्रीज करना+ मूर्खीकरण+बेरोजगारी+ कांट्रिक्ट फार्मिंग+ श्रमिक अधिकारो मे कटौती+जीएसटी+डिमोनिटाइजेशन+सांस्कृतिक आतंकवाद और धर्मनिर्पेक्ष शिक्षा मे पतन+फेकन्यूज+समाज पर हर तरफ से कब्जा करने के इच्छुक लोगो के गिरोह द्वारा जेहादी तैयार करना आदि को एक फ्रेम मे मिलाकर नही देखेंगे...
यदि आप बिंदुओ को जोड़कर नही देखेंगे.. तो आपको बरबाद और असहाय कर दिया जायेगा...
सत्ता द्वारा...

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