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अक्सर रेलवे और सरकारी सेवाओं से नौकरी की उम्मीद लगाए नौजवान पूछते हैं कि हमलोगों के बारे में क्यों नहीं लिखते। मेरा जवाब यही होता है कि समग्र रूप से आँकड़े नहीं मिलते। जो कम पढ़ा गया। मगर बैंक सेवाओं से संबंधित आँकड़े मिले हैं जिसे देखकर अपने नौजवान दोस्तों के लिए बहुत दुख हुआ। आम तौर पर इस साल तक बैंक भर्तियों के लिए IBPS को बता देती है,इंस्टीट्यूट आफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन नाम की यह संस्था बैंक सेवाओं में भर्तियों के लिए परीक्षा आयोजित करती है. IBPS की वेबसाइट से जो डेटा मिला है, उसे देखते हैं.
2015 में 24, 604 क्लर्कों की भर्ती का विज्ञापन निकला था. 2016 में 19, 243 क्लर्कों की भर्ती का विज्ञापन निकला. एक साल में क्लर्कों की भर्ती में 5,361 की कमी आ गई. 2017 में 7,883 क्लर्कों की भर्ती की वेकैंसी आई है. 2016 से 17 के बीच 11,360 पद कम हो गए.
2015 की तुलना में सौलह हज़ार वैकेंसी कम हो गई है. नौजवान आज बेरोज़गारी के रेगिस्तान में खड़ा है और आपका नेता कब्रिस्तान की बात कर रहा है.
अब आते हैं प्रोबेशनर आफिसर पीओ की संख्या पर. यहां भी कहानी दुखद है.
2015 में 12,434 पोस्ट पीओ का निकला था. 2016 में सीधा 3612 कम हो कर 8,822 हो गया. 2017 में 3,562 पीओ की ही वैकेंसी निकली है. यानी 2015 की तुलना में 2017 में करीब 9000 कम वेकैंसी आई है.
छात्रों का एक बड़ा वर्ग बैंकिंग सेवाओं की तैयारी में लगा रहता है। वे भी कमेंट में अपना अनुभव या कोई और तथ्य जोड़ सकते हैं। मैं संशोधित कर सकता हूँ। पर उनसे सवाल है। क्या उन्हें भी नौकरी नहीं चाहिए? क्या उन्हें भी सिर्फ हिन्दू मुस्लिम टॉपिक चाहिए? आजकल मंत्री सुबह सुबह किसी महान नेता, किसी महान कवि की जयंती पुण्यतिथि पर ट्वीट करते हैं, क्या आप उनसे नहीं पूछेंगे कि भाई अपने मंत्रालय की वैकेंसी का डेटा कब ट्वीट करोगे?
गुरुवार के इंडियन एक्सप्रेस प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पर एक रिपोर्ट छपी है. आंचल मैगज़ीन और अनिल ससी की रिपोर्ट आप भी पढ़ियेगा. स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय ज़िला स्तर पर मांग और आपूर्ति की समीक्षा कर रहा है, डेटा जमा कर रहा है. जुलाई 2017 के पहले हफ्ते तक के डेटा को देखने के बाद जो तस्वीर सामने आ रही है वो भयावह है.
अभी तक कौशल विकास योजना के तहत 30 लाख 67 हज़ार लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है या दिया जा रहा था. इनमें से मात्र 2 लाख 90 हज़ार को ही काम मिला है. 12,000 करोड़ की इस योजना के तहत चार साल में एक करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य है.
इसका मतलब स्किल इंडिया भी फ़ेल हो गया है। विज्ञापन में ही सफल है। सारा पैसा प्रोपैगैंडा में ही उड़ाना है तो एक विज्ञापन में यह भी बता दें कि तीस लाख को ट्रेनिंग दी, मगर तीन लाख को ही नौकरी दी। विपक्ष में रहते तो यही करते, अब जब विपक्ष को आयकर विभाग सीबीआई से डरा कर ख़त्म कर दिया है तो ये काम भी आप ही कर दीजिए हुज़ूर ।
मेरा यक़ीन कहता है कि इन बेचैनियों पर पर्दा डालने के लिए जल्दी ही कोई बड़ा ईंवेंट, स्लोगन और भाषण आने वाला है।
सवाल करते रहिए। एक दूसरे का साथ देते रहिए। नौकरी माँगिए नौकरी।
रवीश कुमार
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