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अगर फूलपुर और गोरखपुर गया, तो बीजेपी में दिनेश शर्मा के हाथ लग सकता जैकपॉट!

अगर फूलपुर और गोरखपुर गया, तो बीजेपी में दिनेश शर्मा के हाथ लग सकता जैकपॉट!
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केशव प्रसाद मौर्य, योगी आदित्यनाथ, डॉ. दिनेश शर्मा
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय दिल्ली रवाना

वरिष्ठ पत्रकार अश्वनी कुमार श्रीवास्तव

अगर फूलपुर और गोरखपुर गया...तो बीजेपी में दिनेश शर्मा के हाथ जैकपॉट लग सकता है। योगी और मौर्य को दरकिनार कर 2019 संभालने के बहाने दिनेश शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। एक बरस पहले जब सरकार बनी थी, तब भी संघ सबसे ज्यादा इच्छुक दिनेश शर्मा को ही मुख्यमंत्री बनाने को लेकर था। लेकिन योगी और मौर्य, दोनों ही बगावत के स्तर तक जाकर भी मुख्यमंत्री पद हथियाने के लिए जिद पकड़ चुके थे। लिहाजा संघ ने तब मजबूरी में दो उप मुख्यमंत्री और एक मुख्यमंत्री का फार्मूला बनाया और योगी के दबाव में आकर उन्हें मुख्यमंत्री पद दे दिया।


लेकिन सूत्रों का तब ही कहना था कि 2019 के पहले ही योगी और मौर्य को किसी न किसी जुगत से इस कदर मजबूर कर दिया जाएगा कि वे खुद नैतिक दबाव में शर्मा के नाम पर सहमति जता दें। अब 2019 की महाभारत से ऐन पहले जो सेनापति अपना-अपना गढ़ यानी फूलपुर और गोरखपुर तक नहीं बचा सके, उन्हें इस महाभारत के सबसे अहम गढ़ उत्तर प्रदेश को जीतने की जिम्मेदारी न तो दी जा सकती है और न ही अब उनमें यह नैतिक साहस बचा है कि वे दोनों खुद ही आगे बढ़कर संघ से इस तरह की कोई मांग कर सकें।
कॉन्सपिरेसी थ्योरी के मद्देनजर इस तरह की किसी साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता...और वह भी तब, जब मामला सत्ता और राजनीति से जुड़ा हो, जहां सिर्फ और सिर्फ साजिशों के बल पर ही जीत हार तय होती है। वैसे भी, उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक और सामाजिक बदलाव का जो हिडेन एजेंडा संघ लागू करना चाहता है, उसके लिए उसे अपने मनमाफिक मुख्यमंत्री तो हर कीमत पर चाहिए ही चाहिए। और उपचुनाव में महज दो सीट, चंद महीनों के लिए गंवाने की कीमत पर अगर संघ के इस दूरगामी लक्ष्य की सारी बाधाएं खुद ब खुद दूर हो जा रही हैं तो यह हार दरअसल उसके लिए एक तरह की जीत ही है।
बहरहाल, हर कॉन्सपिरेसी थ्योरी की ही तरह इस षड्यंत्र का सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है, इसे साबित नहीं किया जा सकता। लेकिन वह क्या पंक्तियां हैं कि "समझने वाले, समझ गए हैं....न समझे वो अनाड़ी हैं..."

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