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पहले बेचता था कफन और अब.....? तो ये है निर्मल बाबा की असलियत!

महेश झालानी
7 Sep 2017 2:53 AM GMT
पहले बेचता था कफन और अब.....? तो ये है निर्मल बाबा की असलियत!
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लोगों को बेवकूफ बनाने का धंधा जब खूब फलने और फूलने लगा तो वह व्यक्ति अपनी दुकान समेटकर दिल्ली आ बसा । यहाँ दुकान क्या पूरा मॉल ही दौड़ने लग गया है । कभी एक-एक रुपये के लिए मोहताज रहने वाला यह फ़क़ीर आज 10000 करोड़ रुपये से ज्यादा का स्वामी है । आज नटवरलाल जिंदा होता तो इस व्यक्ति के कारनामों को देखकर खुद ही आत्महत्या कर लेता ।
नटवरलाल का भी बाप और कोई नही देश का सबसे बड़ा ठग निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा है । क्‍या आपको पता है कि तीसरी आंख से सब देखने वाले निर्मल बाबा की पहले कफन बेचने की दुकान और ईंट का भट्टा था । यू इसने माइनिंग के काम मे भी हाथ डाला था लेकिन लक्ष्मी की "कृपा" हरी चटनी के साथ समोसे नही खाने की वजह से अटकी रह गयी । दिल्ली में हरी और लाल चटनी के साथ समोसे खाने के बाद "कृपा" की बारिस होने लगी।

निर्मल बाबा के जीजा और बिहार से मंत्री रहे इंदर सिंह नामधारी तो उनके इस चमत्‍कार से जरा सा भी इक्‍तेफाक नहीं रखते। अब बात करते हैं बाबा के करोबार की। लोगो पर कृपा की बरसात करने वाले इस बाबा की सालाना आय करीब 1000 करोड़ रुपये अर्थात रोजाना तीन करोड़ रुपये भक्तो को गोलगप्पे खिलाकर कमा रहे है। वह भी इनकम टैक्स फ्री।

निर्मल बाबा के दो खातों में जनवरी 2012 से अप्रैल 2012 के पहले हफ्ते 109 करोड़ रूपए जमा हुए हैं। यानी हर रोज एक करोड़ 11 लाख रूपए जमा हुए। खाते में पैसे पूरे देश से जमा किए गए। सिर्फ 12 अप्रैल यानी गुरुवार को 14 करोड़ 93 लाख 50 हजार 913 रुपए 89 पैसे जमा किए गए हैं। वो भी सुबह साढ़े 9 बजे से दोपहर एक बजे तक। शाम तक कुल 16 करोड़ जमा किए गए। यह रकम निर्मल दरबार नामक खाते में जमा किए गए। एक और बैंक में बाबा के नाम पर 25 करोड़ की एफडी है। इस समय बाबा के देश-विदेश के बैंक तथा वित्तीय संस्थानों आदि में 10000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जमा है।

एक ओर सरेआम निर्मल सिंह नरूला लोगों की आंखों में धूल झोंककर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ रहा है और दूसरी तरफ इस जालसाज की सच्चाई सामने लाने की बजाय हमारे तथाकथित आधुनिक टेलीवीजन मीडिया वाले उसको बढ़ावा देने में लगे हैं । आखिर ऐसा क्या कारण है कि टेलीवीजन चैनल सारी सच्चाई जानते हुए निर्मल बाबा को हीरो बनाए हुए घूम रहे हैं? तो सच्चाई भी जान लीजिए इस बाबा की।

निर्मल बाबा के निर्मल दरबार का इस वक्त रोजाना 36 टीवी प्रोग्राम के जरिए देश-विदेश में प्रसारण हो रहे हैं. औसतन निर्मल बाबा प्रतिदिन 22 घंटे चैनल पर नजर आता है. टीवी चैनल ताकतवर माध्यम है इसलिए इसका इस्तेमाल करके कुछ समय पहले बाबा रामदेव ने भी अपना योग साम्राज्य और दवाइयों का कारोबार इतना बड़ा कर लिया था कि आज वह देश के रसूखदार लोगों में गिने जा रहे हैं. निर्मल बाबा ने भी बड़ी चालाकी से इसी टीवी मीडिया का इस्तेमाल करना शुरू किया और आज वह अरबों में खेल रहा है.

किसी एक टीवी चैनल पर आने के लिए निर्मल बाबा 50 से एक करोड़ रूपये मासिक रूप से अदा करता है. चैनलों के लिए निर्मल बाबा का प्रसारण कोई ज्यादा दिक्कत वाला काम इसलिए नहीं है क्योंकि टीवी चैनलों में पर टेलिमार्केटिंग कंपनियां पहले से ही आधे घण्टे या प्रंद्रह मिनट का एयरटाइम खरीदकर अपने उत्पादों का प्रचार करती रही है. जाहिर है, इसके लिए टेलीवीजन चैनल कहीं से जिम्मेदार नहीं होता है और मिलनेवाले पैसे को भी वह अपने एकाउण्ट में शो कर सकता है.

निर्मल बाबा- सब टीवी, स्टार टीवी, हिस्ट्री चैनल, सोनी, आज तक, लाइफ ओके, सहारा वन, एएक्सएन, न्यूज-24, इंडिया टीवी, आइबीएन-7, आजतक तेज, स्टार उत्सव, साधना, सहारा समय, नेपाल1, जी छत्तीसगढ़, सहारा यूपी, सहारा बिहार, सहारा मध्य प्रदेश, सहारा राजस्थान, सहारा समय मुंबई, दिव्य टीवी, सौभाग्य टीवी, दर्शन-24, प्रार्थना उड़िया, पी-7 न्यूज, टोटल टीवी, इंडिया न्यूज हरियाणा, डीवाई-365, कात्यायनी, ए2जेड, कलर्स (केवल अमेरिका में), सोनी (अमेरिका में) और टीवी एशिया (अमेरिका में) में रोज दिखाई देता है ]।

निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा के इंटरनेट पर तीस लाख से भी अधिक लिंक्स हैं, पर उनका कहीं कोई विवरण उपलब्ध नहीं है. निर्मलजीत से निर्मल बाबा कैसे बने, यह आज भी रहस्य है.निर्मल बाबा दो भाई हैं. बड़े भाई मंजीत सिंह अभी लुधियाना में रहते हैं. निर्मल बाबा छोटे हैं. पटियाला के सामना गांव के रहनेवाले निर्मल बाबा का परिवार 1947 में देश के बंटवारे के समय भारत आ गया था. बाबा शादी-शुदा हैं तथा इसके एक पुत्र और एक पुत्री हैं ।

मेदिनीनगर (झारखंड) के दिलीप सिंह बग्गा की तीसरी बेटी से उनकी शादी हुई. चतरा के सांसद और झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के छोटे साले हैं ये. बकौल श्री नामधारी, 1964 में जब उनकी शादी हुई, तो निर्मल 13-14 वर्ष के थे. 1970-71 में वह मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) आये और 81-82 तक वह यहां रहे. रांची में भी उनका मकान था. पर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगे के बाद उन्होंने रांची का मकान बेच दिया और चले गये. रांची के पिस्का मोड़ स्थित पेट्रोल पंप के पास उनका मकान था.

मेदिनीनगर के चैनपुर स्थित कंकारी में बाबा ने ईंट भट्ठा शुरू किया. पर व्यवसाय नहीं चला । गढ़वा में कपड़ा का बिजनेस किया. पर इसमें भी नाकाम रहे बहरागोड़ा इलाके में माइनिंग का ठेका भी लिया। निर्मल बाबा का झारखंड से पुराना रिश्ता रहा है. खास कर पलामू प्रमंडल से । सन 1981-82 में वह मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) में रह कर व्यवसाय करते थे. चैनपुर थाना क्षेत्र के कंकारी में उनका ईंट-भट्ठा भी हुआ करता था, जो निर्मल ईंट के नाम से चलता था.बाबा को जानने वाले कहते हैं कि निर्मल का व्यवसाय ठीक नहीं चलता था. तब उनके ससुरालवाले मेदिनीनगर में ही रहते थे. हालांकि अभी उनकी ससुराल का कोई भी सदस्य मेदिनीनगर में नहीं रहता. उनके (निर्मल बाबा के) साले गुरमीत सिंह अरोड़ा उर्फ बबलू का लाईम स्टोन और ट्रांसपोर्ट का कारोबार हुआ करता था.

आप कल्पना करिए कि अगर नया मीडिया या फिर जिसे आप सोशल मीडिया कहते हैं वह न होता तो निर्मल बाबा का क्या होता? 'टेलीवीजन मीडिया को पैसे के बल पर अपनी जेब में अरबो रुपये जमा कर चुका निर्मल नरूला उर्फ निर्मल बाबा की पोलखोल इसी इलेक्ट्रिनक मीडिया की बदौलत नही हो पा रही है. क्योकि इलेक्ट्रिक मीडिया के लिए बाबा दुधारू पशु है जिसको दुहने में सभी सक्रिय है।

ठग निर्मल की एक सच्चाई यह भी है कि निर्मल बाबा पैसे देकर सवाल पूछवाता था. हालांकि आज निर्मल दरबार में सवाल पूछने के पांच हजार वसूले जाते हैं और समागम में शामिल होने के दो हजार. लेकिन जब निर्मल ने धर्म का धंधा शुरू किया था तब कहानी दूसरी थी. तब नोएडा के जिस स्टूडियो में निर्मल बाबा अपने प्रोग्राम की शूटिंग करता था वहां पैसे देकर लोगों को बुलाया जाता था और सवाल पूछनेवालों को पांच से दस हजार रूपया दिया जाता था. निर्मल बाबा से सवाल पूछकर पैसा लेनेवाली एक ऐसी ही जूनियर आर्टिस्ट निधि ने खुलासा किया है कि निर्मल बाबा एक प्रोग्राम में सवाल पूछने के लिए दस हजार रूपये देता था.

निर्मल बाबा की परत दर परत सच्चाई सामने आनी शुरू हो गयी है. निर्मल बाबा भले ही धर्म की धंधेबाजी के कारण अब चर्चा में आ रहा है लेकिन इंदर सिंह नामधारी झारखण्ड के ईमानदार और रसूखवाले नेताओं में गिने जाते हैं. निर्मल सिंह इन्हीं इंदर सिंह नामधारी का सगा साला है. यानी नामधारी की पत्नी मलविन्दर कौर का सगा भाई. नामधारी स्वीकार करते हैं कि शुरुआती दिनों में वे खुद निर्मल नरुला को अपना कैरीयर संवारने में खासी मदद कर चुके हैं। नामधारी का कहना है कि उनके ससुर यानी निर्मल के पिता एसएस नरूला का काफी पहले देहांत हो चुका है और वे बेसहारा हुए निर्मल नरूला की मदद करने के लिए उसे अपने पास ले आए थे। लाइमस्टोन की ठेकेदारी से लेकर कपड़े के कारोबार तक निर्मल को कई छोटे-बड़े धंधों में सफलता नहीं मिली तो वह बाबा बन गया। कैसे बना, यह आज तक रहष्य है । बकौल नामधारी के निर्मल पूरी तरह पाखंडी है जो लोगो की आस्था से खेलकर उन्हें लूटता है।

भारत में "बाबाओं की दुकान" चल रही है। कोई भभूत से चला रहा है तो कोई पेट घुमा रहा है । कोई जीवन का रहस्य बताकर अपनी दुकान चमकाने में तल्लीन है । मजे की बात यह है कि हमारे सियासतदान भी इनके धंधों को विकसित करने में अपनी सक्रिय भूमिका अदा कर रहे है । दुर्भाग्य तो इस देश के 125 करोड़ आवाम का है जिसे अपने माता-पिता को पैर छूकर प्रणाम करने में कमर की हड्डी झुकती नहीं, बाबाओं को "पैर से सर तक छूने" में कोई कसर नहीं, कोई कोताही नहीं। जय हो निर्मल बाबा की।
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