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क्या एनडीए में कुशवाहा अलग - थलग पड़े या फिर पकड़ेगें अलग राह?
मकर संक्रांति के बहाने चूड़ा दही भोज के साथ ही बिहार की सियासत भी बदलने लगी है.रविवार को एनडीए के घटक दलों के द्वारा आयोजित चूड़ा दही भोज के बहाने शुरू हुई सियासत आज परवान चढ़ती दिखायी पड़ी.
रविवार को राजधानी पटना में जदयू , लोजपा और भाजपा के द्वारा आयोजित चूड़ा दही के भोज में एनडीए के सभी बड़े नेता तो शामिल हुए लेकिन रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा इस भोज से गायब रहे. दूसरी तरफ आज रालोसपा के भोज में एनडीए घटक के किसी भी दल के कोई नेता की मौजूदगी नही रहने से ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि कही कउसवाहा एनडीए में अलग - थलग तो नही पड़ रहें.
जानकार सूत्रो की माने तो कुशवाहा ने एनडीए के सभी नेताओं को आमंत्रित किया था लेकिन उधर से सहमति के संकेत नही मिलने के कारण आज का भोज रालोसपा तक ही सीमित रह गया . जबकि पिछले कई वर्षो से कुशवाहा के भोज में एनडीए और खासकर भाजपा के बड़े नेता शामिल होते रहे हैं. हालांकि इस मामले पर कुशवाहा ने सफाई भी दी और उन्होनें कहा कि हमने किसी को आमंत्रित नही किया है. लेकिन केन्द्र मे मंत्री रहने और एनडीए घटक का एक प्रमुख दल होने के बावजूद कुशवाहा की इस उपेक्षा के राजनीतिक संकेत तो है ही .
दूसरी तरफ कुशवाहा द्वारा लालू परिवार के प्रति सहानुभूति दिखाना और यह कहना कि लालू का पूरा परिवार अभी गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है यह इस बात का संकेत नही कि कुशवाहा एक बार फिर नये घर की तलाश में है. हालांकि अब इस संबंध में कुछ कहना जल्दबाजी होगा लेकिन इतना तो तय है कि सूबे की राजनीतिक फिंजा अब बदलने लगी है.