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छत्तीसगढ़ से अब आई एक बुरी खबर, 12 मजदूरों के साथ घर के लिए रवाना हुई थी जमलो, पानी की कमी के चलते तोड़ा दम
कोरोना वायरस महामारी ने देश और दुनिया में संकट खड़ा कर दिया है. लेकिन इस महामारी को रोकने के लिए जो लॉकडाउन लगाया गया है उससे भी करोड़ों गरीब और मजदूरों के लिए भूख का संकट सिर पर खड़ा है. एक 12 साल की बच्ची जो छत्तीसगढ़ के बीजापुर से बहुत दूर तेलंगाना में काम के लिए गई थी, जब लॉकडाउन होने पर पैदल ही घर आने लगी तो रास्ते में उसने मंजिल पर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया.
इस हादसे ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है. डॉक्टरों की ओर से बच्ची का पोस्टमार्टम भी किया गया है, जिसके बाद अब डिटेल रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है. लेकिन शुरुआती रिपोर्ट्स से यह सिद्ध हो गया है कि 12 साल की जमलो मकदम कोरोना वायरस निगेटिव थी. यानी उसमें कोरोना वायरस का लक्षण नहीं था.
दरअसल, इन दिनों जो भी मौत हो रही हैं उनको लेकर सरकार सतर्क है और कोरोना की जांच जरूरी की जा रही है, ताकि मरने वाले किसी व्यक्ति के साथ वालों पर कोई असर ना पड़े. डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची की मौत शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन की वजह से हुई, जिसके परिणामस्वरूप बच्ची को उल्टी-दस्त हो गए और पानी की कमी हो गई. इस मामले के बाद बच्चों के लिए काम करने वाले कई संगठन एक्टिव हो गए हैं, तेलंगाना के मानवाधिकार कमीशन में भी इसको लेकर गुहार लगाई गई है.
...मंजिल से कुछ देर पहले ही तोड़ दिया दम
छत्तीसगढ़ के बीजापुर की रहने वाली ये बच्ची तेलंगाना के मुलुगू जिले में मिर्च से जुड़े काम में मजदूरी करती थी. जब लॉकडाउन को बढ़ाया गया, तब 12 प्रवासी मजदूरों का एक ग्रुप पैदल ही घर जाने के लिए निकल पड़ा. लेकिन किस्मत ने आखिरी मौके पर धोखा दे दिया और जब पैदल चलने का सफर पूरा होने वाला था और घर से सिर्फ 1 घंटे की ही दूरी बची थी तो बच्ची ने दम तोड़ दिया. 15 अप्रैल को शुरू हुआ सफर 18 अप्रैल को हमेशा के लिए खत्म हो गया.