छत्तीसगढ़

मां ने लोकगीत गाकर अपने जवान बेटे को दी अंतिम विदाई, VIDEO देख कर नहीं रोक पाएंगे आंसू

Special Coverage News
4 Nov 2019 4:35 AM GMT
मां ने लोकगीत गाकर अपने जवान बेटे को दी अंतिम विदाई, VIDEO देख कर नहीं रोक पाएंगे आंसू
x
छत्तीसगढ़ के लोकगीत गायकों में से एक उभरते हुए सितारे सूरज तिवारी ने दुनिया को अलविदा कह दिया. हार्ट अटैक के कारण सूरज की मौत हो गई.

छत्तीसगढ़ के लोकगीत गायकों में से एक उभरते हुए सितारे सूरज तिवारी ने दुनिया को अलविदा कह दिया. हार्ट अटैक के कारण सूरज की मौत हो गई. जब सूरज को अंतिम विदाई दी जा रही थी तो उसकी मां और छत्तीसगढ़ की मशहूर लोकगायिका कविता तिवारी ने लोकगीत गाकर अपने बेटे को अंतिम विदाई दी. कविता ने अपने साथियों की संगत के साथ हरमोनिया और ढोल की ताल पर लोकगीत. लोकगीत में उनके अंदर का दर्द तो झलक ही रहा है लेकिन इसके साथ ही वह यह भी बता रही हैं कि होनी को कौन टाल सकता है.

'द्रोणा जैसे गुरु चले गए, कर्ण के जैसे दानी' गीत गाते हुए कविता इस बात को स्वीकार कर रही हैं कि यह होनी है. सूरज भी लोकगीत में पारंगत था. कविता तिवारी का कहना है कि 'सूरज हर तरह का वाद्य बजा लेता था, एक्टिंग कर लेता था, गाना गा लेता था. हम मां-बाप के लिए हीरा था हमारा बेटा.'

कविता तिवारी और उनके पति दीपक तिवारी का रंग छत्तीसा ग्रुप है. दुनिया भर में यह ग्रुप अपना हुनर दिखा चुका है. कविता कहती हैं कि 'मैंने यह गीत इस लिए गाया है क्योंकि हर इंसान को एक न एक दिन जाना ही है. दुनिया से विदा लेते हुए मैंने अपने बेटे को यह गीत सुनाया है कि एक दिन हर किसी को जाना है. चाहे वह अमीर हो या गरीब. हर आदमी को एक न एक दिन जाना ही है.'

Tags
Special Coverage News

Special Coverage News

    Next Story