दिल्ली

1984 सिख दंगों में सजा का एलान, एक दोषी को मौत, दूसरे को उम्रकैद की सजा

Special Coverage News
20 Nov 2018 11:22 AM GMT
1984 सिख दंगों में सजा का एलान, एक दोषी को मौत, दूसरे को उम्रकैद की सजा
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कोर्ट ने हत्या के दोषी ठहराए गए नरेश सहरावत को उम्रकैद की सजा सुनाई तो वहीं, यशपाल सिंह को मौत की सजा दी।

नई दिल्ली : 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले में कोर्ट ने 34 साल बाद किसी को मौत की सजा दी है। मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत ने हत्या के दोषी ठहराए गए नरेश सहरावत को उम्रकैद की सजा सुनाई तो वहीं, यशपाल सिंह को मौत की सजा दी। पिछले हफ्ते कोर्ट ने इस मामले पर संबंधित सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

सजा पर बहस के दौरान अभियोजन और पीड़ितों के वकील ने दोषियों के लिए फांसी की मांग की थी, जबकि बचावपक्ष की ओर से रहम की गुहार लगाई गई थी। केंद्र के आदेश पर गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने पिछले सप्ताह अडिशनल सेशन जज अजय पांडे के सामने सजा पर बहस के दौरान दलील दी थी कि दोषियों का अपराध गंभीर प्रकृति का है, जिसे पूरी साजिश के तहत अंजाम दिया गया, इसलिए हत्या के अपराध के लिए उन्हें अधिकतम सजा के तौर पर फांसी दी जाए।

उधर, पीड़ितों की ओर से पेश सीनियर काउंसिल एचएस फुल्का ने भी एसआईटी की मांग का समर्थन किया और दलील दी कि अदालत के फैसले पर सिर्फ दंगा पीड़ितों को नहीं, पूरी दुनिया की नजर टिकी है। आपको बता दें कि यह मामला हरदेव सिंह के भाई संतोख सिंह ने दर्ज कराया था। दिल्ली पुलिस ने सबूतों के अभाव में 1994 में यह मामला बंद कर दिया था लेकिन दंगों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने मामले को दोबारा खोला।

अदालत ने दोनों आरोपियों को आईपीसी की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया और फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद दोषियों को हिरासत में ले लिया गया था।

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