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दिल्ली विधानसभा चुनाव: सब मुद्दों की बीच सभी पार्टियाँ भूल गई आधी आबादी की ये बात!
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 (Delhi Assembly Election 2020) के लिए उम्मीदवारों ने नामांकन पर्चा भी दाखिल कर दिया है. अब चुनाव प्रचार के लिए पार्टियों ने कमर कस ली है. इन सबके बीच पार्टियों ने एक अहम मुद्दे को दरकिनार कर दिया है वो है देश की आधी आबादी का मुद्दा. दरअसल, दिल्ली के कैंडिडेट्स की लिस्ट पर नजर डालें तो इसमें महिलाओं की भागीदारी ना के बराबर है. इस साल कुल 1029 प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल किया है जिनमें से 842 पुरुष और 187 महिलाएं हैं. हालांकि जनता का महिला प्रत्याशियों पर कितना भरोसा है यह तो मतगणना के दिन ही पता चल सकेगा.
दिल्ली विधानसभा के गठन के बाद से सबसे ज्यादा सत्ता महिलाओं के हाथों में रही है लेकिन इसके बावजूद सदन में महिला विधायकों की संख्या गिनी-चुनी रही है. फिलहाल 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में महिलाओं की संख्या मात्र 6 है. साल 2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इसमें कुल 673 प्रयाशियों ने नामांकन भरा जिनमें 606 पुरुष प्रत्याशी थे जबकि महिला प्रत्याशियों की संख्या मात्र 66 यानी मात्र 9.8 प्रतिशत रही. इनमें से भी 6 महिलाओं ने जीत हासिल की.
आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 1972 में 9 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई लेकिन जीत सिर्फ 3 को ही हासिल हुई. इसी तरह साल 1977 के चुनाव में मात्र 7 महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरी थीं जिनमें से 4 ने जीत हासिल की. साल 1998 में सबसे ज्यादा 9 महिला प्रत्याशियों ने दिल्ली सविधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद 2003 में 7 महिलाएं चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं.
इसी तरह साल 2008 में 81 महिलाओं ने चुनाव में अपने भाग्य आजमाए लेकिन सिर्फ तीन को ही जीत हासिल हुई. इसी तरह साल 2015 में 66 महिलाएं चुनाव लड़ीं लेकिन जीतकर मात्र 6 ही विधानसभा में पहुंच सकीं.