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दिल्ली हाईकोर्ट ने आॅनलाइन दवा बिक्री पर देश भर में लगाया बैन
बता दें कि जहीर अहमद की पीआईएल में ये दलील दी गई थी कि लाखों दवाइयां इंटरनेट के जरिए बिना किसी नियम-कानून के रोजोना बेची जा रही हैं। इससे मरीज को तो खतरा है ही, डॉक्टरों के लिए भी ये परेशानी का सबब बन सकता है। दरअसल, पीआईएल के माध्यम से याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि ऑनलाइन दवाइयों की सेल के संबंध में कानून भी इसकी इजाजत नहीं देता है। यह ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 और फार्मेसी एक्ट, 1948 के बिल्कुल खिलाफ है।
बता दें कि याचिका में सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। याचिका के मुताबिक दवाइयों की ऑनलाइन सेल को लेकर सरकार कुछ भी ठोस कदम नहीं उठा रही है। ऑनलाइन दवा-विक्रेता बिना लाइसेंस के दवाइयां बेच रहे हैं। कई दवाइयां ऐसी होती हैं, जिनका सेवन बिना डॉक्टरी परामर्श के नहीं किया जा सकता। लेकिन, उनकी बिक्री आसानी से उपलब्ध है। पीआईएल में बताया गया है कि सरकार भी इस बात से अवगत है। हालांकि, सितंबर में केंद्र सकार ने ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री से संबंधित नियम का ड्राफ्ट तैयार किया था। जिसके मुताबिक दवाइयों की बिक्री रजिस्टर्ड ई-फॉर्मेसी पोर्टल के जरिए ही की जा सकती है।