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दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्भया के दोषियों की फांसी पर फैसला किया सुरक्षित

Arun Mishra
2 Feb 2020 1:21 PM GMT
दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्भया के दोषियों की फांसी पर फैसला किया सुरक्षित
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नई दिल्ली : निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक के खिलाफ याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. गृह मंत्रालय की अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई की जा रही है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस सुरेश कैत कर रहे हैं. केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता हाईकोर्ट में पक्ष रखा.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाईकोर्ट से कहा कि दोषी कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं. तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि अगर ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रहता है, तो दोषी पवन या तो क्यूरेटिव पिटिशन दायर कर सकता है या फिर दया याचिका. दूसरों को फांसी नहीं होगी. दोषी पवन जानबूझकर क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल नहीं कर रहा है.

सॉलिसिटर जनरल ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पवन गुप्ता एक साथ दो अधिकारों का उपयोग कर रहा था. 2017 में दोषी पवन ने 225 दिन बाद रिव्यू याचिका दाखिल की थी. क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका अब तक दाखिल नहीं की गई है. अगर पवन दया याचिका दायर करने की नहीं सोचता है, तो किसी भी दोषी को सजा नहीं दी जा सकती है.

केंद्र ने अपनी दलील में कहा कि अगर एक दोषी ने 90 दिनों के भीतर याचिका दाखिल नहीं करता है, तो उसे फांसी देने से अधिकारियों को कोई नहीं रोक सकता है.

'न्याय व्यवस्था का उड़ाया जा रहा मजाक'

दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील शुरू करने से पहले निर्भयाकांड से जुड़े घटनाक्रम का एक चार्ट पेश किया. तुषार मेहता ने कोर्ट को यह बताया कि किन-किन दोषियों की याचिका बाकी है. उन्होंने कोर्ट में कहा कि दोषियों द्वारा याचिका देरी से दखिल कर न्याय व्यवस्था का मजाक उड़ाया जा रहा है.

तुषार मेहता ने कहा कि दोषी मुकेश की दया याचिका खरिज होने के बाद मुकेश ने राष्ट्रपति के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. वहां से उसे राहत नहीं मिली. अक्षय की दया याचिका अभी राष्टपति के यहां लंबित है. दोषी मामले को लंबा खींचना चाह रहे हैं.

पवन ने नहीं दायर की क्यूरेटिव पिटीशन

तुषार मेहता ने कहा कि पवन ने अभी क्यूरेटिव पिटीशन भी नहीं दाखिल की है. मुकेश एक दोषी है. स्पेशल लीव पिटीशन खारिज होने के 250 दिन बाद क्यूरेटिव दायर किया है. यहां देरी करने का मामला साफ साफ देखा जा रहा है. दोषी अक्षय को मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को मंजूरी दी . इसने भी देरी की. इनके वकील ने लगातार एप्लीकेशन किया. ये भी डिले किया. विनय के मामले में भी यही हुआ. 225 दिन बाद रिव्यू दायर किया है. सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई उसके बाद 225 दिन बाद मर्सी पिटीशन राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया.

दोषियों को फांसी देने में न हो देरी

तुषार मेहता ने कहा कि निर्भया के दोषी सोचते हैं कि जब तक ये क्यूरेटिव और दया याचिका दाखिल नहीं करेंगे, तब तक कोई इनको फांसी पर नहीं लटका सकता. ये जानबूझकर मामले को लटका रहे हैं. इन्होंने एक लड़की का सामूहिक रेप किया है और उसकी बर्बर तरीके से हत्या की है. समाज के हित में और कानून के हित में निर्भया के गुनहगारों की फांसी में और विलंब नहीं होना चाहिए.

दिल्ली हाईकोर्ट में निर्भया के दोषी की तरफ से सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन पेश हुईं. इस दौरान उन्होंने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार पर निर्भया मामले की बहस में देरी करने का आरोप लगाया. केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन ने कहा कि निर्भया मामले में केंद्र सरकार पक्षकार ही नहीं हैं. लिहाजा केंद्रीय गृह मंत्रालय को याचिका दाखिल करने का अधिकार ही नहीं है. उन्होंने सवाल किया कि आखिर केंद्र सरकार ने पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती किस आधार पर दी? सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन ने दलील दी कि इस मामले में केंद्र सरकार पक्षकार ही नहीं हैं.

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Sub-Editor of Special Coverage News

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