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सनातन धर्म का "स" तक न जानने वाले राजनैतिक लंपटों से कैसे निबटते महामना? - कुमार विश्वास

Special Coverage News
21 Nov 2019 12:24 PM GMT
सनातन धर्म का स तक न जानने वाले राजनैतिक लंपटों से कैसे निबटते महामना? - कुमार विश्वास
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दिल्ली के जेएनयू में बढ़ी फीस को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन के के साथ-साथ यूपी का काशी हिंदू विश्वविद्यालय भी इन दिनों छात्रों के विरोध में कारण सुर्खियों में हैं। बीएचयू (BHU) में छात्रों का एक ग्रुप संस्कृत भाषा पढ़ाए जाने के लिए अपॉइंट किए गए मुस्लिम असिसटेंट प्रोफेसर फिरोज खान का विरोध कई दिनों से कर रहा है। लेकिन इन सबके बीच बीएचयू के कुलपति और पूर्व न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय भी फिरोज खान के समर्थन में आ गए हैं। बता दें कि BHU मुद्दे पर अब सियासी घमासान मचा हुआ है।

क्या बोले BHU के चांसलर: गिरिधर मालवीय जो कि बीएचयू के चांसलर हैं ने संस्कृत विभाग में प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति का विरोध किए जाने पर कहा कि छात्रों द्वारा लिया गया स्टैंड गलत है। महामना (BHU के संस्थापक, मदन मोहन मालवीय) की व्यापक सोच थी। यदि वह जीवित होते तो निश्चित रूप से इस नियुक्ति का समर्थन करते।

कुमार विश्वास ने कहा कि स्व.मदनमोहन मालवीय के पौत्र न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय संस्कृत प्रोफ़ेसर फ़िरोज़ के विरोध से दुखी होकर कह रहे हैं कि आज मालवीय जी होते तो इस विरोध-प्रदर्शन से दुखी होते,पर सवाल यह है कि सनातन धर्म का "स" तक न जानने वाले राजनैतिक लंपटों से कैसे निबटते महामना?

उनके कथन का समर्थन करते हुए प्रो एस के सिंह ने कहा की 130 करोड़ में आप जैसे चंद लोग ही हैं जो सही को सही एवं ग़लत को ग़लत कहने की हिम्मत करते हैं वरना यही लगता रहता है कि अमुक व्यक्ति या तो इस तरफ़ है या उस तरफ़!

कुमार विश्वास ने कहा कि खेमेबाज़ों की नज़र में माना कि हम गधे हैं, पर तसल्ली है कि किसी के खूँटे से नहीं बँधे हैं, इस चकाचौंध भरी दुनिया में ये सब कहना बहुत ही मुश्किल कार्य है।

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