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CAA पर विरोध प्रदर्शन कैसे हो समाप्त: दिल्ली के पूर्व LG नजीब जंग ने बताई मोदी सरकार को तरकीब!

Shiv Kumar Mishra
21 Jan 2020 7:48 AM GMT
CAA पर विरोध प्रदर्शन कैसे हो समाप्त: दिल्ली के पूर्व LG नजीब जंग ने बताई मोदी सरकार को तरकीब!
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दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बाहर नागरिकता संशोधन कानून ( CAA) के विरोध में प्रदर्शन जारी है. दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग (Najeeb Jung) ने यहां पहुंचकर प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया.

नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल (एलजी) नजीब जंग ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून में सुधार की जरूरत है. इस कानून में मुस्लिमों को भी शामिल किया जाना चाहिए या अन्य जो धर्म हैं उनको हटाया जाए. इसमें मुस्लिमों को शामिल करते ही मामला खत्म हो जाएगा. दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बाहर नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन जारी है. दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग ने यहां पहुंचकर प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया.

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के वाइंस चांसलर रह चुके नजीब जंग ने कहा कि सरकार को CAA में बदलाव करना चाहिए. इसमें मुसलमानों को भी जोड़ा जाना चाहिए. नजीब जंग ने कहा, इस मामले (सीएए) पर चर्चा होनी चाहिए तभी इसका कोई समाधान निकलेगा. जब हम बात ही नहीं करेंगे तो समस्या का हल कैसे निकलेगा? कब तक यह विरोध प्रदर्शन चलता रहेगा? अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है, दुकानें बंद हैं, बसें नहीं चल पा रही हैं और भारी घाटा हुआ जा रहा है.

नागरिकता कानून, एनपीआर, एनआरसी पर पूर्व नौकरशाहों ने उठाए सवाल

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर मचे बवाल पर अब देश भर के 106 पूर्व नौकरशाहों ने सवाल उठाए हैं. इन नौकरशाहों ने सरकार को पत्र लिखा है और कानून की वैधता पर सवाल खड़े किए हैं. पत्र में साफ-साफ लिखा गया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर), नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की जरूरत नहीं है. यह एक व्यर्थ की कवायद है. पत्र में कहा गया है कि इन कानूनों से लोगों को परेशानी ही होगी. इन पूर्व 106 नौकरशाहों में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग (Najeeb Jung), तत्कालीन कैबिनेट सचिव के. एम. चंद्रशेखर और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला शामिल हैं.

इन लोगों ने साथी नागरिकों से केंद्र सरकार से इस पर जोर देने का आग्रह किया है कि वह राष्ट्रीय पहचान पत्र से संबंधित नागरिकता कानून 1955 की प्रासंगिक धाराओं को निरस्त करे.

पत्र का शीर्षक है 'सीएए.. एनपीआर.. एनआरआईसी की जरूरत नहीं. इस पत्र में लिखा गया है, "सीएए के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को लेकर हमारी गंभीर आपत्ति है, जिसको हम नैतिक रूप से समर्थन नहीं दे सकते. हम इस पर जोर देना चाहेंगे कि यह कानून भारत की जनसंख्या के एक बड़े वर्ग में आशंकाएं उत्पन्न करेगा, जो जानबूझकर मुस्लिम धर्म को उसके दायरे से बाहर करता है."

पत्र में कहा गया है कि हाल के दिनों में मुस्लिम समुदाय को उन राज्यों में पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा है, जहां स्थानीय पुलिस केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा नियंत्रित है. यह इस व्यापक आशंका को और मजबूत करता है कि एनपीआर.. एनआरसी कवायद का इस्तेमाल विशेष समुदायों और व्यक्तियों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है. पत्र में इन लोगों ने विदेशी नागरिक (न्यायाधिकरण) संशोधन आदेश, 2019 के तहत विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण और डिटेंशन कैंप व्यापक रूप से स्थापित किए जाने पर भी सवाल उठाए हैं. उल्लेखनीय है कि सीएए को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. पिछले दिनों इस कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में कई लोगों की जान चली गई थी.

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