दिल्ली

आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्गों के छात्रों को परेशान करने के लिए फिर से बीजेपी के निशाने पर है जे.एन.यू.

Special Coverage News
13 Nov 2019 12:46 PM GMT
आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्गों के छात्रों को परेशान करने के लिए फिर से बीजेपी के निशाने पर है जे.एन.यू.
x

देश का प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय विश्व में अपनी प्रकृतिशील परंपरा एवं शैक्षिक माहौल के कारण अपनी विशिष्ट पहचान रखता है. यहां अध्यापन करने के पश्चात यहाँ के छात्र लोक सेवा आयोग, उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन भारतीय राजनीति और सामाजिक आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान देकर देश का नाम गौरवान्वित किया है.

जे.एन.यू. को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद NAAC द्वारा जुलाई 2012 में किए गए सर्वे में 4 में से 3.9 ग्रेड देकर भारत के सबसे अच्छे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया है| इस विश्वविद्यालय की स्थापना कांग्रेस ने सन 1969 में की| जिसे जेएनयू अधिनियम (1966 का 53 वां ) भारतीय संसद द्वारा 22 दिसंबर 1966 में पास किया | कांग्रेस पार्टी ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे उद्देश्य -अध्ययन, अनुसंधान और अपने संगठित जीवन के उदाहरण और प्रभाव द्वारा ज्ञान प्रसार तथा अभिवृध्दि करना. जिन सिद्धांतों में राष्ट्रीय एकता,सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता जीवन की लोकतांत्रिक पद्धति अंतरराष्ट्रीय समाज और सामाजिक समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू जीवन पर्यंत काम करते रहे उनकी सोच को साकार रूप देने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी.

इसमें गरीब मजदूर किसान अल्पसंख्यक पिछड़ा समाज एवं आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्गों के योग्य विद्यार्थियों का शिक्षा जगत के लिए द्वार खोलना था| कुछ समय से जे.एन.यू. RSS एवं बीजेपी के निशाने पर इसलिए है की वहां के छात्र समय-समय पर सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध करते हैं. जिससे परेशान होकर भारतीय जनता पार्टी ने बार-बार जे.एन.यू. को निशाना बनाकर यहां के छात्रों को देशद्रोही देश विरोधी गतिविधियों वाले संस्थान का नाम देखकर उसे बार-बार बदनाम करके इस संस्थान की छवि खराब करने की कोशिश की. यहां के वाइस चांसलर ने सरकार की जनविरोधी नीतियों की आलोचना करने वाले छात्रों को निशाना बनाकर उनके भविष्य के साथ खेलने के लिए अनेक कार्यक्रमों को अंजाम दिया| ऐसे अनेक कानूनी फरमान लागू कर दिए थे जिससे विश्वविद्यालय की संस्कृति और पहचान अपने आप नष्ट हो जाए. हाल फिलहाल में हॉस्टल की फीस कई गुना बढ़ा दी गई है.



मैस कर्मचारियों के वेतन स्टूडेंट्स के मैस बिल को बढ़ाकर वसूलने का कानून पास कर दिया है| अब तक जो छात्रावास की सुविधा बहुत कम पैसे में मिल रही थी, अब उसका प्रतिमाह कमरा 15०० रुपया किराया लेने का प्रावधान कर दिया है. जिसके विरोध में जेएनयू के छात्र विरोध कर रहे है. छात्रों की आवाज को दबाने के लिए वाइस चांसलर ने सुरक्षा बल कर्मियों के माध्यम से आक्रमक तरीके से उनकी आवाज को दबाने के लिए लाठी चार्ज के आदेश दे दिए जिससे कई छात्र बुरी तरह से घायल हो गए है.

दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रभारी डॉ अनिल मीणा का कहना है कि सरकार फिलहाल जो अपने अधिकारों की आवाज उठाता है उसी को ही देशद्रोही का दर्जा देखकर अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश करती रही है. वाइस चांसलर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इशारों पर पूंजीवादी व्यवस्था का पोषण करने, निजी संस्थाओं को फायदा पहुंचाने के लिए जे.एन.यू. में निजीकरण की तरफ बढ़ने बढ़ चुका है. जिस तरह से अशोका, जिंदल इत्यादि प्राइवेट यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन करने के लिए 15 से 20 लाख रुपए खर्च करने की हैसियत रखने वाले छात्र वहां पर अध्ययन कर सकता है| जेएनयू को भी इस तरह की संस्थान बनाने की पूरी योजनाएं चल रही है. पिछले 15 दिनों से जे.एन.यू. में व्यापक स्तर पर आंदोलन चल रहा है.

डॉ. अनिल कुमार मीणा प्रभारी दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस असिस्टेंट प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय



Tags
Special Coverage News

Special Coverage News

    Next Story