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हिंदी कविता को लेकर कुमार विश्वास ने दिया सुप्रीमकोर्ट के पूर्व जज को करारा जबाब!
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू अपने बयानों के चलते अक्सर सुर्खियों में बने रहते है. अब एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. उनकी ये सुर्खियां हिन्दी कविता पर उनके कमेंट को लेकर है. चंद घंटे पहले काटजू ने एक ट्वीट किया है. ट्वीट करते हुए काटजू ने कहा है कि आधुनिक हिन्दी कविता में उर्दू जैसा दम नहीं है. आधुनिक हिन्दी कविता वो दम नहीं रखती है जो दम उर्दू में है. वहीं उन्होंने ये भी पूछा है कि उर्दू विदेशी भाषा है या भारतीय.
ट्वीट में काटजू यहीं पर नहीं रुके हैं. इसके बाद उन्होंने ये लाइन लिखी है. "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है." फिर इसके बाद इसी लाइन को हिन्दी शब्दों में इस तरह से लिखा है "शीश कटवाने की इच्छा अब हमारे हद्य में उपस्थित है." फिर काटजू ने कहा है कि ये क्या आवाज़ है. क्या इसमे कोई दम है. लेकिन काटजू इस बार गलती से हिंदी के प्रो और देश के जाने माने कवि डॉ कुमार विश्वास को टैग कर फंस गये है, चूँकि हिंदी के प्रो से हिंदी कविता की बुराई कैसे सहन होगी. इसके साथ हिंदी के जाने माने कवि अगर हिंदी कविता की बात नहीं करेंगे तो कौन करेगा. फिर काटजू को मिला जबाब.
इसके बाद काटजू ने एक और उदाहरण देते हुए लिखा है, "बोल के लब आज़ाद हैं तेरे, बोल ज़ुबान अब तक तेरी है." फिर इसी लाइन को हिन्दी में काटजू ने कुछ इस तरह से लिखा है, "कहो कि हमारे होंठ स्वतंत्र हैं, कहो कि तुम्हारी जीभ अभी तक तुम्हारी है."
हिंदी-कविता की "शक्तिमत्ता" से आपके अपरिचित रह जाने के पीछे, मेरा कोई योगदान नहीं है ! यह आपके निजी अज्ञान, आत्ममुग्धता व अशिक्षा के कारण है ! कृपया बार-बार मुझे "टैग" करके अपनी अहमन्य-कुंठा की निरर्थक उलूक-ध्वनि न करें ! ईश्वर आपको यथाशीघ्र स्वस्थ करे व आपका "न्याय" करे 🙏😊 https://t.co/vd06Qwd6CW
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) April 23, 2019
शायद इन लाइनों पर डॉ कुमार विश्वास कभी गौर नहीं करते. लेकिन कुमार विश्वास के अनुसार काटजू ने ये ट्वीट कई बार कुमार को टैग किया है. इसी से नाराज़ होकर कुमार विश्वास ने फिर ट्वीट करते हुए कुछ इस तरह से काटजू को जवाब दिया है.
Is Urdu an Indian language or a foreign language ?@Javedakhtarjadu @DrSYQuraishi @ravishndtv @DrKumarVishwas @omthanvi @Razarumi @atahasnain53 pic.twitter.com/vNnkEfr3L7
— Markandey Katju (@mkatju) April 23, 2019
डॉ कुमार ने लिखा कि "हिंदी कविता की "शक्तिमत्ता" से आपके अपरिचित रह जाने के पीछे, मेरा कोई योगदान नहीं है! यह आपके निजी अज्ञान, आत्ममुग्धता व अशिक्षा के कारण है! कृपया बार-बार मुझे "टैग" करके अपनी अहमन्या-कुंठा की निरर्थक उलूक-ध्वनि न करें! ईश्वर आपको यथाशीघ्र स्वस्थ्य करे व आपका "न्याय" करे." साथ ही आखिर में कुमार विश्वास ने एक हंसते हुए और एक हाथ जोड़ते हुए वाली इमोजी भी इस्तेमाल की है. लेकिन एक जज का इस तरह देश की मातृभाषा की कविता पर ऊँगली उठाना ठीक नहीं है.