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तिहाड़ जेल प्रशासन ने निर्भया गैंगरेप आरोपियों को जारी किया नोटिस
नई दिल्ली : तिहाड़ जेल प्रशासन ने निर्भया गैंगरेप आरोपियों को नोटिस जारी कर सूचना दी है कि उनके पास दया याचिका दाखिल करने के लिए 7 दिन हैं. यह जानकारी संदीप गोयल, डीजी तिहाड़ जेल ने दी है.
निर्भया गैंगरेप केस में चारों दोषियों को 7 जनवरी तक की मोहलत मिल गई है. पटियाला हाउस कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान कहा कि मैं आप लोगों (दोषियों) को पूरा वक्त दे रहा हूं, इसीलिए 7 जनवरी तक समय दिया जा रहा है. दोषी जो भी कानूनी या दया याचिका जैसे विकल्प फॉलो करना चाहते हैं, आप कर लीजिए. कोर्ट के फैसले के बाद निर्भया की मां रोने लगीं. उन्होंने कहा कि उनके पास सभी अधिकार हैं, हमारा क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा...
बुधवार को अपने फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'इस मामले में सभी तर्कों को सुना जा चुका है, याचिकाकर्ताओं की ओर से कोई भी ऐसी दलील नहीं दी गई जिसके आधार पर रिव्यू पिटीशन को स्वीकार किया जाए'. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट के द्वारा पहले ही जांच को पूरी तरह से परखा जा चुका है. हमें इन दलीलों में कुछ नया नहीं दिख रहा है, इसी आधार पर पुनर्विचार याचिका को तुरंत खारिज किया जाता है.'
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से जो प्रक्रिया की जांच की मांग की है, उसे स्वीकारा नहीं जा सकता है. ट्रायल की प्रक्रिया सही हुई है, उसमें कोई भी खामी नहीं है.
क्या होता है डेथ वारंट?
कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर-1973, यानी दंड प्रक्रिया संहिता- 1973 (CrPC) के तहत 56 फॉर्म्स होते हैं. फॉर्म नंबर 42 को डेथ वारंट कहा जाता है. इसके ऊपर 'वारंट ऑफ एक्जेक्यूशन ऑफ अ सेंटेंस ऑफ डेथ' लिखा होता है. वहीं इसे ब्लैक वारंट भी कहा जाता है. इसके जारी होने के बाद ही किसी व्यक्ति को फांसी दी जाती है।
गौरतलब है कि दिसंबर 2012 में निर्भया के साथ गैंगरेप कर उनकी निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी. इस मामले में निचली अदालत ने आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी. इसके बाद यह मामला हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. शीर्ष अदालत ने वर्ष 2017 में दोषियों की याचिका को खारिज कर दिया था. अब 18 दिसंबर को मामले के एक दोषी अक्षय की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका को भी शीर्ष अदालत ने ठुकरा दिया है.