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दिल्ली पुलिस ने मुख्य सचिव से मारपीट के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सलाहकार वीके जैन के बदले बयान के हवाला देते हुए कोर्ट से विधायक अमानतउल्ला और विधायक प्रकाश जारवाल का दो दिन की पुलिस रिमांड की मांग की. साथ ही दोनों विधायकों की जमानत की दलीलें सुनी. कोर्ट ने दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. इस मामले की सुनवाई पर अदालत अपना फैसला आज सुनाएगी.
पुलिस के और से सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. अदालत ने पूंछा है कि पुलिस के हाथ ऐसे कौन से नए तथ्य हाथ लगे है जो पुलिस रिमांड की मांग कर रही है. जबाब देने के लिए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त डीसीपी नार्थ हरेंद्र सामने आये और जबाब दिया. उन्होंने कहा कि चीफ सेक्रेटरी के मामले में सलाहकार वीके जैन के बयान में बदलाब और चिकत्सीय जाँच आने के बाद मामले में साजिश होने की आशंका नजर आ रही है. आरोपियों को हिरासत में लेकर सीएम और डिप्टी सीएम व मौजूदा लोंगों की भूमिका का पता लगाना जरूरी है इसलिये दो दिन के लिए पुलिस रिमांड की आवश्यकता बताई.
डीसीपी ने हरेंद्र कुमार ने बताया कि दोनों विधायकों से मारपीट की पुष्टि हो चुकी है. अब जांच का विषय यह है कि उन्होंने यह कार्य सोची समझी रणनित के तहत किया है यह आरोपियों से पूंछतांछ के बाद ही स्तिथि साफ़ हो पाएगी. क्योंकि सीएम आवास से सीसीटीवी फुटेज भी मुहैया नहीं कराई जा रही है. जो कि एक गंभीर प्रश्न वाचक चिन्ह लगाता है. एमएलसी रिपोर्ट पर उठ रहे सवाल पर कहा कि प्रमुख सचिव अंशु प्रकाश के चेहरे पर चोट के निशान देखे. उसके बाद मौके पर मौजूद सीएम के सलाहकार वीके जैन का सीआरपीसी की धारा 161 के तहत पुलिस के समक्ष दर्ज ब्यान भी कोर्ट में पेश किया. जैन ने अपने बयान में स्वीकार किया कि चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश के साथ मारपीट की गई.
सरकारी वकील ने दावा किया कि यह बात वीके जैन ने कोर्ट में सीआरपीसी के सेक्शन 164 के तहत बयान में भी स्वीकार किया कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट की गई. मेट्रोपोलिन मजिस्ट्रेट शैफाली बरनाला टंडन ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित करते हुए शुक्रवार को सुनवाई का आदेश जारी कर दिया. दोनों विधायकों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भजे दिया है.
सरकारी वकील ने इस मामले में दलील पेश करते हुए कहा कि आधी रात 12 बजे पहले वीके जैन ने फिर खुद मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव को अपने आवास पर आने को विवश किया. उसके बाद वहां पहले से ही एक दर्जन विधायक मौजूद थे. सभी ने मिलकर अंशु प्रकाश पर विज्ञापन मामले को लेकर दबाब बनाया जिसके बाद यह घटना घटी. यह राशन वितरण का मामला नहीं है यह एक सोची समझी रणनित के तहत हुआ है. इस मामले में सभी मौजूद लोंगों को सीआरपीसी की धारा 120 के तहत आरोपी मानते हुए उनसे भी कोर्ट को पूंछतांछ की अनुमति देनी चाहिए.