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भारत में चुनाव आर्थिक, विकास रोजगार पर नहीं पाकिस्तान के नाम पर क्यों?
भारत में इस समय जो धर्म और समाज की लड़ाई लड़ी जा रही है वो वाकई नाकाबिलेतारीफ है. हमारा अब पूरे विश्व में मजाक बनाया जाता है. मुसलमान बनाम हिन्दू के नाम जो खेल खेला जा रहा हिया उसमें हम सबका नुकसान हो रहा है.
अभी दिल्ली प्रदेश में विधानसभा का चुनाव चल रहा है. उसमें भारतीय जनता पार्टी ले माडल टाउन विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार ने कहा कि यह चुनाव भारत बनाम पाकिस्तान मैच की तरह है. आखिर यह कहना क्या ठीक है?
अब इस पर राजनैतिक घमासान चैनलों पर मचा हुआ है जिसमें सभी चैनल बार बार इसी शब्द पर डिबेट करते नजर आ रहे है. जबकि सच्चाई इससे दूर है. हालांकि इस बात पर चुनाव आयोग ने स्वत संज्ञान लेते हुए उन्हें अडतालीस घंटे के लिए प्रचार से दूर कर दिया है.
अब आइये भारतीय हकीकत से आपको रूबरू कराते है. क्या किसी आरएसएस लीडर के पडोस में रहने वाले मुस्लिम के घर कोई परेशानी आएगी तो आप मदद नहीं करेंगे. बिलकुल अप उनके जब तक परिजन आयेंगे एक जिम्मेदारी के तहत उनके पूरे परिवार ख ख्याल रखेंगे. जबकि चैनल की डिबेट में बैठकर ऐसा साबित करने का प्रयास करेंगे कि आप अभी जब डिबेट से उठेंगे तो ऐसा कानून लगा देंगे की देश से मुस्लिम अपने आप निकल जाएगा क्या यह मुमकिन है नहीं?
तो फिर विकास के नाम पर आर्थिक, रोजगार के नाम पर वोट मांगिये ताकि आप अपने आप को साबित करें और जनता को वोट डालने के लिए प्रेरित करें अन्यथा यह खेल ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है. देश में आपसी भाईचारा और मित्रता कायम रहने दें. भडकाऊ स्पीच पर रोक लगाई जाए जो भी व्यक्ति उपरोक्त तरह की स्पीच दे उसका बायकाट किया जाय और अब जनता ही इनको सबक सिखा सकती है कि आप पाकिस्तान के नाम पर वोट दोगे या हिंदुस्तान में हुए विकास के नाम पर.
अगर आप जनता को संतुष्ट नहीं कर सकते तो आपको सरकार चलाने का कोई अधिकार नहीं है. आप जनता के हित के काम करिये आपको खुद वोट मिलेगा. अब भारत की जनता भी पाकिस्तान और मुसलमान नाम सेनफरत करने लगा है. रही शाहीन बाग़ की या अन्य धरना स्थल की तो जो सरकार के लाये नियम कानून का विरोध शांतिपूर्ण तरीके से करेंगे तो आप कैसे रोक पायेंगे. या तो अप उनके मध्य जाकर उनकी बात सुने या फिर उनके दिए ज्ञापन पर विचार करें तभी कोई बीच का रास्ता निकलता है.