संपादकीय

खौफनाक मुस्लिम कैसे एक ही झटके में हो गया बीजेपी से बेख़ौफ़!

Shiv Kumar Mishra
29 Dec 2019 8:24 AM GMT
खौफनाक मुस्लिम कैसे एक ही झटके में हो गया बीजेपी से बेख़ौफ़!
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बीजेपी से भयभीत मुस्लिम एक ही झटके में खुद को बेख़ौफ़ समझने लगा है.

देश में जबसे नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तबसे इस देश में एसा महसूस किया गया कि अब देश में मुसलमान ने कुछ किया तो बख्सा नहीं जाएगा. एक बारगी यह लगने भी लगा जब मुस्लिम अपने आपको भारत में असुरक्षित समझने लगा और बीजेपी का खौफ उसके दिमाग में बैठ चूका था कि सरकार का विरोध करना मतलब अपनी परेशानी पैदा करना होगा.

समय लगातार बदलता गया हिंसा का स्वरूप भी बदलता गया. देश के कई राज्यों में भी बीजेपी की सरकार भी बन चुकी थी. अब प्रदेशों में मोब लिंचिंग के नाम पर कई मुस्लिमों की जान चली गई. जिस पर ली बड़े नेता , पत्रकार समाजसेवी और फिल्मकारों ने खुलकर विरोध भी किया लेकिन विरोध कहीं भी हिंसात्मक नहीं रहा. उसके बाद मुलसमान लगातार हर मोर्चे पर अपने को सरकार से अलग थलग मनाता आया.

जबकि पीएम मोदी ने पहले और दूसरी बार भी शपथ ग्रहण के बाद कई मुस्लिम नेताओं और उनके नुमाइन्दगी करने वाले कई मौलाना और मोलवियों से मुलाकात कर संदेश दिया. कहा कि हम सबका साथ और सबका विकास के नाम पर सरकार चलाएंगे. इस सरकार में किसी भी धर्म और समाज के देश वासियों को डरने की आवश्यकता नहीं है. किंतु समय समय पर लोकसभा में पेश हुए विधेयकों ने मुसलमानों की चिंता ही नहीं उनमें खौफ का माहौल भी पैदा कर दिया. उनके जेहन में यह शब्द पेवस्त हो गया कि बीजेपी सरकार का मुसलमान विरोध भी नहीं कर सकता और नहीं इसकी मुखलफत करके इस बदल सकता है. जबकि उससे पहले यह माना जाता था कि मुसलमान चाहेगा उसकी केंद्र में सरकार बनेगी.

देखते ही देखते सब खौफजदा मुस्लिम हैरान होकर भारतीय सरकार और हिंदू समाज की और कातर भाव से देखने लगा था. अब धीरे धीरे उसकी कट्टरवादी छवि भी बदलनी शुरू हो चुकी थी. सरकार लगातार मुसल्मानों को लेकर कई तरह के विधयेक पास कर चुकी थी. तीन तलाक , धारा 370 , राम मंदिर समेत कई बड़े ताबड़तोड़ फैसले चार महीने पुरानी सरकार धडाधड करती जा रही थी. ग्रहमंत्री अमित शाह सदन में जिस तरह से विधेयक पास करा रहे थे उससे विपक्ष ही नहीं खुद सरकार में बैठे लोग और उनके मंत्री भी हैरान थे. आखिर पांच साल चली सरकार किस तरह खामोश थी और चार माह पुरानी सरकार ताबड़तोड़ निर्णय कर रही थी.

अब सदन में नागरिकता संसोधन कानून का बिल लोकसभा में जिस तरह पेश हुआ और गृहमंत्री अमित शाह ने उसका तरीका समझाया उससे पूरे देश के राजनैतिक विपक्ष और मुसलमान में एक नई उर्जा का संचार कर गया. उन्होंने सोच लिया और कहा कि अगर अभी पुरजोर विरोध नहीं किया तो एनआरसी लगना भी तय है. उसी का नतीजा निकला कि समूचा विपक्ष और देश का मुलसमान सडकों पर जुमे के दिन उतर गया. देखते ही देखते जो बीजेपी चाह रही थी वो नहीं हुआ और मुस्लिमों के इस विरोध में हिंदुओ ने भी समर्थन दे दिया जबकि किसी को भी यह जानकारी नहीं थी कि आखिर वो किसका विरोध कर रहा है.

अब बीजेपी ने जिस मकसद से यह काम किया था वो तो अब फेल नजर आ रहा था लेकिन भयभीत मुसलमान अब सडक पर बेख़ौफ़ होकर नंगा नाच कर रहा था. उसके दिमाग में जो सरकार ने पिछले छह साल में यह भर दिया था कि अब बीजेपी की सरकार है और अगर तुमने कुछ भी गलत किया तो तुम्हें इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा. अब यह बात उसके दिमाग से दूर हो चुकी थी. अब मुसलमान बीजेपी के उस खौफ से बाहर निकल चूका था जो उसके दिमाग में पिछले बीस साल से घूम रहा था. अब मुसलमान बेख़ौफ़ होकर घूम रहा है. अब बीजेपी के लिए यह सबसे बड़ी बात यह थी कि उससे भयभीत मुसलमान का खौफ एक ही झटके में निकल चूका था.


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