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राहुल, अखिलेश , मायावती , तेजस्वी , ममता बनर्जी की कमियां ढूंढने वाली मिडिया, कुछ सवाल सरकार से भी पूंछ लो?
देश में इस समय मीडिया में एक फोबियो हावी है. अगर विपक्ष कुछ भी बोले तो खबर बन जाती है जबकि सरकार का कोई भी आदमी कुछ भी बयान दे तो उसे दिखाने की भी हिम्मत नहीं जुट पाती है. जबकि विपक्षी नेता की झींक और जुकाम की भी खबर बड़ी हेडलाइन बन जाती है.
इन प्रमुख नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव , बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती , राजद नेता तेजस्वी यादव , पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कर्नाटक के सीएम कुमार स्वामी , दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल समेत कई विपक्षी नेता है. इनके मुंह से निकला हर शब्द मिडिया की सुखियाँ पाता है जबकि सरकार की और से दिए गये हर ब्यान में देश का विकास इस मिडिया को दीखता है.
अब मीडिया को अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए सरकार से सवाल करना चाहिए कि सरकार ने साढ़े चार साल में देश हित में क्या क्या किया जिससे देश में रोजगार की जगह बेरोजगारी बढ़ी. मझले व्यापारी और छोटे उधोगधंदे क्यों चौपट हो गये. देश में अपराध क्यों बढ़ रहा है. जबकि बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा देंने वाली सरकार अपने ही कार्यकाल में बेटिओं और माँ , बहिनों को सुरक्षा क्यों प्रदान नहीं कर पा रही है.
रोजाना हर प्रदेश में अपराध रेप का ही होता है जबकि पहले बिहार यूपी में मीडिया को हर समय अपराध दिख रहा था अब क्या इन प्रदेशों में अपराध पर लगाम लग गई है. तो फिर जिस स्तंभ पर न्यायाधीश तक विश्वास कर पानी बात कहने को आ जाते है उस मीडिया की विश्वसनीयता पर प्रश्न वाचक चिन्ह लग जाएगा. सरकार से सवाल करना जरूरी है. लेकिन सबसे पहले बड़े संस्थानों को भी सहयोग करना पड़ेगा.
देश में पेट्रोल डीजल की बढती कीमतों पर भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है. गैस के सिलेंडर की बढती कीमतों पर कुछ कहने वाला नहीं है कोई लेकिन अगर कोई विपक्षी नेता पीसी करता है तो उससे सवाल जरुर किया जाएगा जबकि उससे सवाल किया जाता है. जबकि उस नेता के पास कोई जबाब नहीं होता है. इस दौरान अगर उसने गुस्सा में कुछ बोला तो वो मिडिया की सुर्खियाँ बनना तय हो जाता है.
अगर इस पर हम लोगों ने सवाल नहीं किया तो इस देश के बेडा गर्क समझा जाय. जब तक रोजगार और व्यवसाय सुरक्षित नहीं होगा देश का विकास नहीं होगा. देश का विकास इन हिन्दू मुस्लिम की डिबेटों से नहीं होगा. डिबेट हो तो आर्थिक जगत और रोजी रोजगार की हो तब इस देश के दिन कितने जल्दी बदलेंगें कहा नहीं जा सकता. सरकार के अच्छे कार्य की जानकारी जनता को दो ताकि उस कार्य में जानकारी कर लोग अपना भला करा सकें.